लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ख़िलाफ़ सीबीआई छापे पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दलों ने इस छापे को आने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़ा है। यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है कि लंबे समय से लंबित पड़े मामलों में एक के बाद एक विपक्षी दलों के नेताओं पर सीबीआई कार्रवाइयाँ हुई हैं। हालाँकि यह सब मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही शुरू गया है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें तेज़ी आई है। इसी महीने अखिलेश के क़रीबियों के ख़िलाफ़ सीबीआई के छापे पड़े। सीबीआई ने इससे पहले मायावती, पी. चिदंबरम और लालू परिवार के सदस्यों पर भी कार्रवाई की है। तृणमूल के कई नेताओं पर भी केस किया। हालाँकि, इन मामलों में विशेष नतीजा नहीं निकला है। कई मामलों में सीबीआई कार्रवाई में देरी भी हुई।
क्यों सीबीआई के निशाने पर हैं विपक्षी दल?
- चुनाव 2019
- |
- 25 Mar, 2019
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ख़िलाफ़ सीबीआई छापे पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दलों ने इसे लोकसभा चुनाव से जोड़ा है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सीबीआई पर विपक्षी दलों और सरकारों को परेशान करने का कोई राजनैतिक दबाव है? कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनाव से ऐन पहले विपक्षी दलों को कमज़ोर कर वोटों का फ़ायदा लेने की कोशिश है? जो भी हो, विपक्षी दल तो ऐसे ही आरोप लगा रहे हैं। हालाँकि सरकार इन आरोपों से साफ़ इनकार करती रही है और उन्हें भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एजेंसी की स्वतंत्र कार्रवाई बताती रही है। पढ़िए, एक के बाद एक विपक्षी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ सीबीआई की कैसे चल रही है कार्रवाई।
सपा-बसपा गठबंधन होते ही सीबीआई छापे
एक तरफ़ नई दिल्ली में इस साल पाँच जनवरी को सुबह सपा-बसपा गठबंधन की बैठक चली और उधर दोपहर होते-होते यूपी के कई ठिकानों पर धड़ाधड़ सीबीआई के छापे पड़ गए। सीबीआई ने अवैध खनन के मामले में अखिलेश यादव के विधायक रमेश मिश्रा और उनके भाई दिनेश कुमार को आरोपी बनाया। बताया जाता है कि खनन मामले में अखिलेश यादव की भूमिका की भी जाँच की जाएगी और जाँच एजेंसी उनसे पूछताछ भी कर सकती है। बता दें कि अवैध खनन का मामला उस वक्त का है, जब तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के पास खनन मंत्री की भी ज़िम्मेदारी थी। रेत खनन मामले में पहले आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला पर कार्रवाई की गई और बाद में इसमें कई लोगों को आरोपी बनाया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2016 में सपा सरकार के कार्यकाल में अवैध खनन और मनमाने तौर पर खदानों के पट्टे देने का मामला सीबीआई को सौंप दिया था। अब यह कार्रवाई शुरू हुई है।