MP Vidhan Sabha Monsoon Session: मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र को लेकर इस बार तमाम तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं। सत्र 28 जुलाई से शुरू हो रहा है। परिसर के अंदर विपक्षी दलों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। कांग्रेस इसका कड़ा विरोध कर रही है।
मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा के सोमवार 28 जुलाई सोमवार से शुरू होने जा रहे सत्र के पहले ही हंगामा खड़ा हो गया है। राज्य विधानसभा सचिवालय के एक फरमान की वजह से सत्र शुरू होने के पहले ही टकराव के हालात बने हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह के हस्ताक्षरों से राज्य के विधायकों के नाम एक परिपत्र जारी हुआ है। परिपत्र पर तारीख तो 10 जुलाई 2025 की है, लेकिन यह गत दिवस विधायकों को मिला है, ऐसा बताया गया है। दरअसल, इस परिपत्र में सुरक्षा का हवाला देते हुए विधायकों के राज्य विधानसभा परिसर में नारेबाजी और प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
साफ-साफ कहा गया है, ‘माननीय अध्यक्ष (नरेन्द्र सिंह तोमर स्पीकर हैं) के स्थायी आदेश 94 (2) के तहत माननीय सदस्यों द्वारा विधानसभा परिर में नारेबाजी व प्रदर्शन करना प्रतिबंधित किया गया है।’
मध्य प्रदेश विधानसभा गठन 1956 में हुआ है। बीते 69 सालों में पहली बार इस तरह का आदेश किसी स्पीकर के दौर में जारी हुआ है। आदेश में और भी कई सारे प्रतिबंध लगाये गये हैं। राज्य विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 230 है। इनमें सत्तारूढ़ दल के विधायकों की संख्या 164 है, जबकि कांग्रेस के 65 विधायक हैं। एक सदस्य भारत आदिवासी पार्टी के हैं।
विधानसभा का सत्र 28 जुलाई से शुरू हो रहा है। घोषित कार्यक्रम के अनुसार इसे 8 अगस्त तक चलना है। कुल 12 दिनों के सत्र में 10 बैठकें होना सुनिश्चित किया गया है। सत्र शुरू होने के पहले हंगामा और गतिरोध के हालात इस आदेश की वजह से बन गए हैं।
राज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता हेमंत कटारे ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘हम इस आदेश को नहीं मानेंगे। ये तुगलक काल के याद दिला रहा है।’ कटारे का कहना है, ‘भाजपा बातें और दावे बड़ी-बड़ी करती है, कहती है अधिक से अधिक चर्चाएं होना चाहिए। मगर सरकार चर्चाओं से डरती है। भागती है। भ्रष्टों को बचाती है। सवालों के जवाब नहीं देती है।’
कटारे ने इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग विधानसभा स्पीकर से की है। उनका कहना है, आदेश वापस नहीं लिया तो हम इसे नहीं मानेंगे। इसका तीखा विरोध भी कांग्रेस विधायक करेंगे।
कटारे के रूख से साफ है, सदन में इस मसले पर शुरूआती दिनों में हंगामा होगा। गतिरोध होगा। जनहित के मुद्दे लटकेंगे। उन पर चर्चा नहीं हो सकेगी। इस सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक ला रही है। जनहित से जुड़े विधेयक चर्चा के बिना और हंगामें के बीच ही पास हो जाने के आसार भी बन रहे हैं।
पूरे मामले पर विपक्ष के विरोध, मांग और सुरक्षा की ऐसी जरूरत क्यों पड़ रही है? ‘सत्य हिन्दी’ ने स्पीकर नरेन्द्र सिंह तोमर से संपर्क का प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
आदेश में ये भी प्रतिबंध
- - विभिन्न दीर्घाओं में प्रवेश पत्र सीमित संख्या में जारी होंगे
- - दर्शक दीर्घा में विधायकों की अनुशंसा पर सीमित पास दिए जायेंगे
- - जारी होने वाले पास की अवधि घंटे भर की रहेगी
- - बारी-बारी से और तय समय अनुसार प्रवेश मिलेगा
- - मंत्रीगण और सदस्यों के गनमैन का प्रवेश वर्जित रहेगा
- - बड़े हथियारधारी अंगरक्षकों को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा