क्रिसमस के दिन मध्यप्रदेश में अपने दल के विधायकों के बीच ‘सांता क्लॉज’ की भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलों का दौर शुरू हो गया है। मंत्री पद नहीं मिलने से कई विधायक ख़ासे ख़फ़ा हैं। दिग्विजय सिंह के बेहद नज़दीकी विधायकों में शुमार एक विधायक के समर्थक ने तो पार्टी पदाधिकारी पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। मुरैना ज़िले में यह इस्तीफ़ा हुआ है। जिले में और कई लोग पार्टी छोड़ सकते हैं।
कमलनाथ कैबिनेट को लेकर भड़का असंतोष, पार्टी पद से इस्तीफ़े शुरू
- मध्य प्रदेश
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- 6 Feb, 2019
मध्य प्रदेश में सरकार बने कुछ ही दिन हुए हैं कि इस्तीफ़े का दौर शुरू हो गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ बड़ी मुश्किल से असंतुष्टों को साधने की कोशिश में हैं।

कमलनाथ की अगुवाई वाली मध्यप्रदेश की नई सरकार अल्पमत वाली सरकार है। राज्य विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। स्पष्ट बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए, कांग्रेस कुल 114 सीटें ही जीत सकी हैं। बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। इस हिसाब से कांग्रेस की सदन में कुल संख्या स्पष्ट बहुमत से पांच ज़्यादा यानी कुल 121 है। कमलनाथ ने 25 दिसंबर को अपने कैबिनेट का गठन किया। पहली खेप में कुल 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई।
अपनों पर बेरहम
कमलनाथ ने तमाम झंझावतों से बचने के लिए अपने ही गुट के अनेक विधायकों का पत्ता काटा है। विधायकों को जतलाने के लिए कमलनाथ ने ख़ुद अपने शहर छिंदवाड़ा से तीसरी बार के विधायक दीपक सक्सेना को मंत्री नहीं बनाया। दिग्विजय सिंह स्वयं अपने अनुज लक्ष्मण सिंह को मंत्री बनवाने से बचे, हालांकि कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को मंत्रिमंडल में लिया है।