मुंबई हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण प्रदर्शन को लेकर बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि 2 सितंबर तक सभी सड़कें खाली की जाएं। प्रदर्शनकारियों और सरकार पर बढ़ा दबाव।
मराठा आरक्षण को लेकर मुंबई में प्रदर्शन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल और उनके समर्थकों को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है! हाईकोर्ट ने प्रदर्शन के कारण मुंबई में हुई भारी अव्यवस्था और यातायात जाम को देखते हुए मनोज जरांगे पाटिल और उनके समर्थकों को 2 सितंबर की दोपहर तक शहर की सभी सड़कों को खाली करने और सामान्य स्थिति बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रदर्शन को 'अशांतिपूर्ण' करार देते हुए कहा कि इसने मुंबई को पूरी तरह ठप कर दिया है और प्रदर्शनकारियों ने अनुमति की सभी शर्तों का उल्लंघन किया है। यह आदेश गणपति उत्सव के दौरान शहर में बढ़ते तनाव और अव्यवस्था के बीच आया है।
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10% आरक्षण दिया जाए। इसके साथ ही वे मराठवाड़ा के मराठाओं को कुनबी जाति के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं, जो ओबीसी के तहत आती है। जरांगे ने दावा किया है कि वह तब तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने सोमवार से पानी पीना भी बंद कर दिया, जिससे उनकी सेहत को लेकर चिंता बढ़ गई है।
प्रदर्शन के चौथे दिन हजारों मराठा समुदाय के लोग मुंबई में आजाद मैदान पहुंचे। इस कारण छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, चर्चगेट स्टेशन, मरीन ड्राइव, फ्लोरा फाउंटेन और विधान भवन की ओर जाने वाली सड़कों सहित शहर के प्रमुख क्षेत्रों में भारी जाम लग गया। सोशल मीडिया पर आए वीडियो और तस्वीरों में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर कबड्डी खेलने, नाचने, और दैनिक गतिविधियां करने जैसे कार्य किए। इससे शहर की सामान्य दिनचर्या पूरी तरह बाधित हो गई।
बॉम्बे हाईकोर्ट का कड़ा रवैया
सोमवार को जस्टिस रविंद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंखड की विशेष बेंच ने इस मामले की तत्काल सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थान आजाद मैदान से बाहर निकलकर शहर के कई क्षेत्रों को अवरुद्ध कर दिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की, 'हम देख सकते हैं कि यह प्रदर्शन कितना शांतिपूर्ण है। हाईकोर्ट का भवन घेर लिया गया है। जजों और वकीलों के प्रवेश द्वार अवरुद्ध हैं। जजों की गाड़ियां आज कोर्ट नहीं पहुंच सकीं। पूरा शहर ठप हो गया है।' कोर्ट ने यह भी पूछा कि राज्य सरकार सड़कों को क्यों नहीं खाली करा रही है? कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि जरांगे की सेहत बिगड़ती है, तो राज्य सरकार को उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करनी होगी।
राज्य सरकार ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार हाईकोर्ट के निर्देशों को लागू करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह दावा गलत है कि मुंबई में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है। राज्य के महाधिवक्ता बिरेंद्र सराफ ने कोर्ट में कहा कि प्रदर्शनकारियों ने हर नियम का उल्लंघन किया है।
मुंबई पुलिस ने भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 1,500 से अधिक पुलिसकर्मियों और केंद्रीय बलों को तैनात किया है। पुलिस ने यातायात सलाह जारी करते हुए कहा, 'हमें खेद है कि प्रदर्शन के कारण मुंबईकरों को असुविधा हुई। हमने यातायात को कम करने की पूरी कोशिश की।'
प्रदर्शन का असर
मराठा आरक्षण प्रदर्शन ने मुंबई के दक्षिणी हिस्से को पूरी तरह ठप कर दिया। डी.एन. रोड, जे.जे. मार्ग, महापालिका मार्ग, और मरीन ड्राइव जैसी प्रमुख सड़कें जाम रहीं। सीएसएमटी और चर्चगेट स्टेशनों पर भारी भीड़ के कारण लोकल ट्रेन सेवाएं बाधित हुईं। क्रॉफर्ड मार्केट जैसे व्यावसायिक केंद्रों में गणपति उत्सव की खरीदारी प्रभावित हुई, क्योंकि खरीदार डर के कारण क्षेत्र में नहीं आए। कई ऑफिस कर्मचारी घंटों जाम में फंसे रहे।
जरांगे का जवाब
हाईकोर्ट के आदेश के बाद मनोज जरांगे ने अपने समर्थकों से सड़कों को खाली करने और वाहनों को निर्धारित स्थानों पर पार्क करने की अपील की। उन्होंने कहा, 'मुंबईकरों को असुविधा नहीं होनी चाहिए। हमारी लड़ाई सरकार से है, आम लोगों से नहीं।' हालांकि, उन्होंने अपनी मांगों पर अडिग रहने की बात दोहराई और कहा कि वह तब तक भूख हड़ताल जारी रखेंगे, जब तक मराठाओं को ओबीसी आरक्षण नहीं मिलता।
मराठा आरक्षण की मांग
मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के 16% मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया था, क्योंकि यह 50% की आरक्षण सीमा को पार करता था। जरांगे की मांग है कि मराठाओं को कुनबी के रूप में मान्यता देकर ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाए।