बड़े बदलाव किसी तारीख के मोहताज नहीं होते, लेकिन कुछ तारीखें जरूर ऐसी होती हैं जिन्हें कभी इसीलिए नहीं भुलाया जा सकता कि वहां से बदलाव का कारवां शुरू हुआ था। 24 जुलाई 1991 एक ऐसी ही तारीख है जिसे अगर हम थोड़ा निरपेक्ष होकर देखें तो लगेगा कि उस दिन कुछ भी नया नहीं हुआ। वह महज वित्त वर्ष के बाकी बचे आठ महीनों का एक बजट था जिसे उस दिन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में पेश किया।