बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग बीजेपी के इशारे पर 'चुनाव चोरी' का उपकरण बन गया है। जानिए उन्होंने क्या क्या कहा।
राहुल गांधी ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर को चुनाव चोरी का टूल बताया है। उन्होंने दावा किया कि एसआईआर के नाम पर चुनाव आयोग 'रंगे हाथ वोट चोरी' करते पकड़ा गया है। राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग अब भी एक स्वतंत्र संस्था है या यह पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी की 'चुनाव चोरी शाखा' बन चुका है। राहुल ने यह आरोप अजीत अंजुम की उस रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए लगाया है जिसमें उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया में गंभीर खामियों की रिपोर्ट की है। राहुल ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर भी सवाल उठाया है।
राहुल गांधी ने यह बयान बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया के संदर्भ में दिया। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "बिहार में चुनाव आयोग 'SIR' के नाम पर रंगे हाथ वोट चोरी करता पकड़ा गया। काम सिर्फ़ चोरी, नाम ‘SIR’ - पर्दाफाश करने वाले पर होगी FIR! EC अब भी ‘Election Commission’ है या पूरी तरह BJP की ‘Election Chori’ शाखा बन चुका है? #VoteChori"।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें पत्रकार अजीत अंजुम द्वारा अपलोड किए गए एक वीडियो का हवाला दिया गया। इस वीडियो में दावा किया गया है कि सरकारी अधिकारी मतदाताओं की जानकारी के बिना उनके फॉर्म भर रहे हैं और हस्ताक्षर कर रहे हैं।
बिहार SIR विवाद क्या है?
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है। हालाँकि चुनाव आयोग ने अभी तक आधिकारिक तारीख़ की घोषणा नहीं की है। इस बीच, चुनाव आयोग ने राज्य में मतदाता सूची को संशोधित करने के लिए विशेष गहन संशोधन यानी SIR प्रक्रिया शुरू की है। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया 22 वर्षों के बाद हो रही है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अयोग्य व्यक्तियों, दोहरे पंजीकरण और अन्य खामियों से मुक्त करना है और योग्य मतदाताओं को शामिल करना है।
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 4.96 करोड़ उन मतदाताओं के नाम को केवल अपनी जानकारी सत्यापित करनी है और गणना फॉर्म जमा करना है जिनके नाम 1 जनवरी 2003 की अंतिम गहन संशोधन सूची में शामिल हैं। इस प्रक्रिया के लिए 25 जून से 26 जुलाई तक का समय तय किया गया है। इसके बाद 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित होगी। दावों और आपत्तियों के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर तक का समय दिया जाएगा, और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।
विपक्ष का आरोप- 2 करोड़ नाम कटेंगे
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को 'वोटरों को हटाने की साजिश' करार दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि बिहार के 7 करोड़ मतदाताओं में से 2 करोड़ मतदाताओं को इस प्रक्रिया के ज़रिए मतदाता सूची से हटाया जा रहा है। उन्होंने इसे महाराष्ट्र में हुए कथित मतदाता सूची हेरफेर से जोड़ा, जहां उनके अनुसार 85 लाख मतदाताओं को बदल दिया गया और बीजेपी की सरकार बनी। खड़गे ने इसे 'चोरी की सरकार, चोरों की सरकार' करार दिया।
राहुल गांधी ने भी महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच वहां 1 करोड़ नए मतदाता जोड़े गए, लेकिन यह साफ़ नहीं है कि ये मतदाता कौन थे और कहां से आए। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में भी वही 'चुनाव चोरी' की कोशिश की जा रही है। उन्होंने भुवनेश्वर में 'संविधान बचाओ सम्मेलन' में कहा था, "बीजेपी संविधान पर हमला कर रही है। कल मैं बिहार में था। जैसे महाराष्ट्र में 'चुनाव चोरी' हुई, वैसे ही बिहार में भी कोशिश हो रही है। चुनाव आयोग बीजेपी की शाखा की तरह काम कर रहा है, अपना काम नहीं कर रहा।"
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को एक याचिका की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को बिहार में SIR प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी। हालांकि, कोर्ट ने सुझाव दिया कि मतदाता पहचान के लिए आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेजों को स्वीकार किया जाए। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, 'चुनाव आयोग को आधार, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र आदि जैसे दस्तावेज शामिल करने चाहिए। यह आयोग पर निर्भर है कि वह इन दस्तावेजों को स्वीकार करता है या नहीं, और यदि नहीं करता, तो उसे इसके लिए पर्याप्त कारण देना होगा।'
पत्रकार अजीत अंजुम पर FIR
राहुल गांधी ने अपने आरोपों के समर्थन में पत्रकार अजीत अंजुम के यूट्यूब चैनल पर चल रही SIR से संबंधित एक श्रृंखला का हवाला दिया। हालांकि, बेगूसराय जिला प्रशासन ने अंजुम पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ एक FIR दर्ज की गई। अंजुम ने इन आरोपों को खारिज करते हुए FIR की एक स्क्रीनशॉट साझा की। राहुल गांधी ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि जो लोग इस 'चोरी' को उजागर कर रहे हैं, उनके खिलाफ ही FIR दर्ज की जा रही है।
विपक्ष का विरोध और बीजेपी का जवाब
कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल जैसे विपक्षी दलों ने SIR को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी की तरह एक 'छद्म प्रक्रिया' करार दिया, जिसके ज़रिए गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों, को मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की जा रही है।
दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष को छोड़कर किसी को इस प्रक्रिया से कोई समस्या नहीं है। पार्टी ने कहा कि SIR एक सामान्य प्रक्रिया है जो मतदाता सूची को सही करने के लिए ज़रूरी है।
राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों ने बिहार में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। SIR प्रक्रिया को लेकर उठा विवाद न केवल बिहार बल्कि देश की चुनावी पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठा रहा है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग और बीजेपी इन आरोपों को खारिज कर रहे हैं। यह विवाद बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को और गर्म करने वाला साबित हो रहा है।