विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी के 'मास्टर स्ट्रोक’ से बचने की तैयारी में कांग्रेस जुटी है, लेकिन क्या वह विधायकों को अपने पाले में बरकरार रख पाएगी?
यूपी में चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों की गरिमा गिरी है। सच तो यह है कि उनके भाषण कभी गंभीर और शालीन नहीं थे।
चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर आखिर लगातार सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं? क्या ऐसे में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव संभव हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों लगातार आपातकाल की याद दिला रहे हैं लेकिन आपातकाल के दौरान जिस तरह के दावे वे खुद के बारे में करते रहे हैं क्या वे सच हैं?
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन इस बात को तय करेगा कि वह विपक्षी एकता की अगुवाई कर पाएगी या नहीं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संसद सत्र अपना अलग ही महत्व है और इसको फलदायी बनाया जाना चाहिए तो क्या वह इसके प्रति इतने गंभीर हैं?
देश आज 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है तो क्या यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि आज़ादी के समय देखे गए सपनों पर कितना खरा उतरे हम और क्या उन सपनों का भारत बना पाए?
कोरोना की दूसरी लहर के बाद धीरे-धीरे दूसरी सभी गतिविधियाँ शुरू हो गईं तो फिर जनगणना का काम शुरू क्यों नहीं हो सका है? इसके बिना सरकार अपनी नीतियां और जनकल्याणकारी योजनाएं कैसे बनाएगी?
आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे पीआईबी की एक पाक्षिक पत्रिका 'न्यू इंडिया समाचार’ में चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि के बारे में ग़लत तथ्य कैसे प्रकाशित हो गए?
सांप्रदायिकता, संकीर्णता और धार्मिक उन्माद पर विवेकानंद ने जो कुछ कहा है, वह आज के दौर में पढ़ा जाना जरूरी है।
चीन के साथ सीमा विवाद का मसला फिर से सुर्खियों में क्यों है? चीन ने सीमा क्षेत्र में जगहों के नाम क्यों बदले हैं? क्या चीन लद्दाख के बाद अरुणाचल क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने मे जुटा है?
क्या भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश हो रही है? हरिद्वार की धर्म संसद की तरह कई जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं, ये भारत की धर्मनिरपेक्षता के लिए गंभीर ख़तरा है।
राज्यों में राज्यपालों की भूमिका अब बेहद विवादस्पद क्यों हो गई है? महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों में राज्यपाल के फ़ैसले पर सवाल क्यों उठते हैं?
सबका डीएनए एक बताने वाले मोहन भागवत के बयान के बावजूद देश के तमाम इलाक़ों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले क्यों हो रहे हैं।
देश में सरकार चला रहे एनडीए गठबंधन के ज़्यादातर बड़े और पुराने सहयोगी उसका साथ छोड़ चुके हैं और यह लुंज-पुंज हालत में है लेकिन ममता बनर्जी इस पर चुप हैं और यूपीए पर हमलावर हैं।
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 37 साल बाद भी इंसाफ़ नहीं मिल पाया है। सरकारें इस घटना से चेतने के बजाए बाक़ी विनाशकारी परियोजनाओं को पूरा करने के काम में जुटी हैं।
कृषि क़ानून रद्द किए जाने के बाद क्या सरकारी कर्मचारी कुछ सबक लेंगे जो कॉरोपोरेट जगत और उसकी समर्थक सरकार के चक्रव्यूह में फँसे हुए हैं?
केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद से गांधी के हत्यारों गोडसे और उसके साथियों को लगातार महिमामंडित किया जा रहा है।
नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार ने बड़े-बड़े दावे किये थे। लेकिन सरकार कुछ नहीं कर सकी। पांच साल बाद ऐसा लगता है कि नोटबंदी पूरी तरह फ़ेल रही।
दिवाली अब बाज़ार की चपेट में ज़्यादा दिखाई देती है। ऐसा लगता है कि बाज़ारवाद हमारे संबंधों और जीवन पर बहुत ज़्यादा हावी हो चुका है।
अमरिंदर सिंह ने अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का एलान किया है। लेकिन क्या इससे कांग्रेस को सियासी फ़ायदा भी हो सकता है?
बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र को सीमावर्ती राज्यों की सीमा के अंदर 15 किमी से बढ़ाकर 50 किलोमीटर क्यों किया गया है? क्या इससे सीमा पार से हथियारों, नशीले पदार्थों की तस्करी रुक जाएगी?
आम आदमी पार्टी क्या गांधीनगर नगर निगम चुनाव में बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाने के लिए खड़ी हुई थी? अगले साल जिन पाँच राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें से 4 जगह से आप चुनाव लड़ रही है तो क्या विपक्ष को नुक़सान पहुँचाएगी?
अरविंद केजरीवाल क्या आम आदमी पार्टी को चलाने में दूसरी पार्टियों से अलग हैं? उन्होंने पार्टी के संविधान में संशोधन करवा कर दो बार से ज़्यादा नहीं चुने जाने की बंदिश क्यों हटवा दी? कार्यकाल भी पांच साल क्यों करवा लिया?
कांग्रेस की राजनीति में क्या आमूलचूल बदलाव आ रहा है? कैप्टन जैसे ताक़तवर नेता की पंजाब के मुख्यमंत्री पद से छुट्टी होने के क्या संकेत हैं? क्या राहुल और प्रियंका उस तरह से कड़े फ़ैसले ले रहे हैं जैसे इंदिरा-राजीव लेते थे?
प्रधानमंत्री मोदी ने आख़िर किसलिए घोषणा की है कि अब से हर वर्ष 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाया जाएगा? क्या यह उत्सव पराजय के लिए मनाया जा रहा है?