भारत के ख़िलाफ़ चीन के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। उसने लद्दाख में अपना दबाव बढ़ाने के बाद अब एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश में भारत की संप्रभुता को चुनौती देने का सिलसिला तेज़ कर दिया है। उसने अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों पर अपना दावा जताते हुए उनके नाम बदल दिए हैं।

फाइल फोटो
चीन के साथ सीमा विवाद का मसला फिर से सुर्खियों में क्यों है? चीन ने सीमा क्षेत्र में जगहों के नाम क्यों बदले हैं? क्या चीन लद्दाख के बाद अरुणाचल क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत करने मे जुटा है?
अरुणाचल प्रदेश को तो चीन लंबे समय से तिब्बत का यानी अपनी हिस्सा मानता रहा है लेकिन लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना देने के बाद से उसने लद्दाख के इलाक़ों पर भी अपना दावा जताना शुरू कर दिया है। यही नहीं, पिछले दिनों भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने तिब्बती नेताओं से मुलाक़ात की तो उस पर भी चीनी दूतावास ने सीधे सांसदों को पत्र लिख कर ऐतराज़ जताया है। चीन का यह रवैया भारत के रक्षा मंत्री रहे दिवंगत समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस की उस चेतावनी की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने चीन को भारत का दुश्मन नंबर एक क़रार दिया था।