प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने के लिए बेताब तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा कि कांग्रेस अब विपक्ष की भूमिका निभाने और विपक्षी एकता की अगुवाई करने में सक्षम नहीं है। यह कहने के साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि यूपीए अब कहां है? हालांकि उनके इस सवाल पर तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनैत्र कड़गम यानी डीएमके, शिव सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) आदि विपक्षी पार्टियों ने तत्काल प्रतिक्रिया जताते हुए साफ कर दिया कि कांग्रेस के बगैर कोई विपक्षी मोर्चा नहीं सकता।

देश में सरकार चला रहे एनडीए गठबंधन के ज़्यादातर बड़े और पुराने सहयोगी उसका साथ छोड़ चुके हैं और यह लुंज-पुंज हालत में है लेकिन ममता बनर्जी इस पर चुप हैं और यूपीए पर हमलावर हैं।
डीएमके की ओर से यह भी कह दिया गया कि वह अभी भी यूपीए में ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में यूपीए अभी भी अस्तित्व में है।
यूपीए यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का गठन 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था। कांग्रेस की अगुवाई में बने इस गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, लोक जनशक्ति पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेन्स, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), केरल कांग्रेस, भारतीय मुसलिम लीग आदि पार्टियां शामिल थीं। केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में इस गठबंधन की सरकार बनी थी।