जब किसी संगठित और संकल्पित आंदोलित समूह का मक़सद साफ हो, उसके नेतृत्व में चारित्रिक बल हो और आंदोलनकारियों में धीरज हो तो उनके सामने सत्ता को अपने कदम पीछे खींचने ही पड़ते हैं, ख़ास कर ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में, जिनमें वोटों के खोने का डर किसी भी सत्तासीन राजनीतिक नेतृत्व के मन में सिहरन पैदा कर देता है।

कृषि क़ानून रद्द किए जाने के बाद क्या सरकारी कर्मचारी कुछ सबक लेंगे जो कॉरोपोरेट जगत और उसकी समर्थक सरकार के चक्रव्यूह में फँसे हुए हैं?
देश की खेती-किसानी से संबंधित तीन विवादास्पद कानूनों को रद्द किए जाने का फ़ैसला बताता है कि देश की किसान शक्ति ने सरकार के मन में यह डर पैदा करने में कामयाबी हासिल की है।
ऐतिहासिक उपलब्धि
किसान आंदोलन की यह जीत न सिर्फ सरकार के ख़िलाफ़ बल्कि कॉरपोरेट घरानों की सर्वग्रासी और बेलगाम हवस के ख़िलाफ़़ भी एक ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल होने का क्षण है, जिसके दूरगामी प्रभाव अवश्यम्भावी है।