क्या एमसीडी में आप की जीत अरविंद केजरीवाल के लिए खुशी लेकर नहीं, मुश्किलें लेकर आई है? जानिए, क्यों ये मुश्किलें सिर्फ़ एमसीडी मामले में ही नहीं, बल्कि उसके भविष्य की राजनीतिक के लिए भी क्यों है।
मल्लिकार्जुन खडगे कांग्रेस के नये अध्यक्ष । दो दशक बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से अलग कोई अध्यक्ष मिला है । क्या अस्सी साल के खडगे कांग्रेस को संकट से निकाल पायेंगे ? क्या वो राहुल गांधी के रबर स्टांप बन कर रह जायेंगे ? क्या उनका दलित होना कांग्रेस के लिये फ़ायदेमंद होगा ? और ढेरों सवाल आशुतोष ने पूछा कांग्रेस की सोशल मीडिया चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत से ।
क्या कांग्रेस अब बदल रही है? क्या यह ग़लतियों से सीख रही है? क्या वह विपक्षी दल होना सीख रही है? क्या उसे ग़लतियों का एहसास हो गया है और इसलिए अब वह सुधर रही है? जानिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का ऐसे हर सवालों पर खरी-खरी जवाब।
मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ सीबीआई छापे के मायने क्या हैं? यह कार्रवाई कितनी भ्रष्टाचार विरोधी और कितनी राजनीतिक है? क्या इसका संबंध आने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव से है?
क्या विपक्ष दूर-दूर तक बीजेपी से लड़ता दिख रहा है? लगातार विपक्षी एकता की बात करने वाले विपक्षी दलों के नेता क्या कभी एकजुट हो पाएँगे? आख़िर विपक्ष के साथ दिक्कत क्या है?
तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा ने क्यों कहा कि वह बीजेपी के आक्रामक उत्तर भारतीय हिंदुत्व से लगातार लड़ती रहेंगी? उनकी यह टिप्पणी क्या इशारा करती है?
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने के लिए कौन ज़िम्मेदार है? बीजेपी के स्वभाव को देखते हुए क्या शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों का ठीक से प्रबंधन नहीं किया? क्या स्थिति भाँपने में वह विफल नहीं रहे?
पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार ने देश के लिए ऐसा क्या किया जो सदियों तक याद रखा जा सके? क्या उन्होंने समाज को जोड़ने वाला काम किया? लोकतंत्र को मज़बूत करने वाला काम किया?
उत्तर प्रदेश चुनाव नतीजे योगी आदित्यनाथ के लिए क्या मायने रखते हैं? इन नतीजों ने उन्हें बीजेपी के शीर्ष नेताओं में कहा ला खड़ा किया है?
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने दया याचिका दाखिल की थी। आख़िर वह किस आधार पर यह कह रहे हैं? क्या ऐतिहासिक तथ्य इसकी पुष्टि करते हैं?
दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को पंजाब के नये मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके साथ ही वह पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बन गए हैं। क्या इस दलित चेहरे से कांग्रेस की राजनीति बदलेगी?
पर क्या आज़ादी के चौहत्तर साल के बाद भारतीय लोकतंत्र गांधी की कसौटी पर खरा उतरा है? क्या भारत लोकतंत्र के उस विज्ञान को विकसित कर पाया है जिसकी कामना गांधी ने की थी?
पिछले दिनों 'दैनिक भास्कर' और 'भारत समाचार' पर सरकारी छापे अपने पाँवों को उखड़ने से बचाने की कोशिश का नतीजा है। पढ़ें, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष के विचार।
जरनैल सिंह भिंडरावाले को ख़त्म करने के लिये गोल्डन टेंपल पर आपरेशन ब्लू स्टार किया गया । भिंडरावाले को किसने खड़ा किया ? 1984 के कत्लेआम के बाद सिक्खों को इंसाफ़ क्यों नहीं मिला ? मशहूर वकील एच एस फुल्का से आशुतोष ने की बातचीत ।
जब इतिहास यह सवाल पूछेगा कि इन चुनावों की कितनी क़ीमत लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई है, तो शायद इन लोगों के पास कोई जवाब नहीं होगा। जब इतिहास यह सवाल पूछेगा कि कुंभ में स्नान करने से कितनों की जान गयी तो कोई जवाब नहीं होगा?
पिछले दिनों जब कोरोना के मसले पर कई हाई कोर्टो ने सरकारों को फटकारा और फिर अचानक सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना मामले का स्वतः संज्ञान लिया तो सवाल खड़ा हो गया कि क्या ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बचाने के लिये किया? सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने मशहूर वकील प्रशांत भूषण से बात की।
पिछले साल जब जनवरी फ़रवरी में कोरोना आया था, तभी से विशेषज्ञ कह रहे थे कि कोरोना की दूसरी लहर आएगी। दूसरी लहर पहले से अधिक ख़तरनाक होगी। दूसरी के बाद तीसरी और चौथी लहर भी आएगी। लेकिन क्या तैयारी हुई?
बंगाल के विधानसभा चुनाव ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। जिस तरह हिंदू-मुसलमान में बँटवारा किया जा रहा है, मुसलमानों को पराया बनाने की कोशिश की जा रही है, क्या वह देश हित में है?
जो दो घटनाएं पश्चिम बंगाल चुनाव की दशा-दिशा तय करेंगी, वे हैं- राजनीतिक मंच से ममता बनर्जी का चंडी पाठ करना और पैर पर प्लास्टिक चढाए हुए व्हील चेयर पर चुनाव प्रचार करना।
क्या इसका मतलब यह है कि केजरीवाल ने मोदी से कुछ पैंतरे उधार लिए हैं और दक्षिणपंथी हो गए हैं? क्या इसका यह मतलब भी है कि यह केजरीवाल का वह पहलू है जिसे अब तक एक बड़े वर्ग ने देखा नहीं था और जो आरएसएस जैसा ही है?
सरकार ने एक ऐसी फ़ौज खड़ी कर दी है जो सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर विरोधियों पर टिड्डी दल की तरह धावा बोलती है और सामने वाले की छवि को पलक झपकते ही तार-तार कर देती है।
दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा। सिंघु बॉर्डर पर किसने कराया बवाल? पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैसे मजबूत हुआ आंदोलन? देखिए वरिष्ठ पत्रकारों की चर्चा। Satya Hindi
आधुनिक भारत क्या कर सकता है, इसकी एक बानगी ब्रिसबेन के गाबा मैदान में देखने को मिली जब भारतीय क्रिकेट टीम ने तीन विकेट से ऑस्ट्रेलिया को हरा दिया। और इसके साथ ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसकी ही ज़मीन पर 2-1 से हरा दिया।
अमेरिका में वह हो गया जिसकी आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी। ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी कांग्रेस पर ही हमला बोल दिया। यह तब हुआ जब संसद जो बाइडन के राष्ट्रपति होने की औपचारिकता पूरी करने के लिये बैठी थी।
कृषि क़ानूनों के पक्षधर क्यों हो गए हैं अचानक से विरोधी? कृषि क़ानूनों को लेकर अपने ही खेल में फंस गई मोदी सरकार? ‘द विजय त्रिवेदी शो’ में देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी, आशुतोष और आलोक जोशी की चर्चा! Satya Hindi
साल 2020 राम-राम करते बीत गया। एक ऐसा साल जिसे भूलना ही बेहतर होगा। पर क्या वाक़ई भुलाया जा सकेगा? शायद कभी नहीं।