क्या देश में सेक्युलरिज्म यानी धर्मनिरपेक्षता ने दम तोड़ दिया है? एक वह दौर था जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में जाने पर ऐतराज जताया था। उनका तर्क था कि भारत एक सेक्युलर मुल्क है और यहां के मुखिया को किसी धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। लेकिन राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू की नहीं सुनी थी। वह कार्यक्रम में गए और एक बहस छिड़ी कि धर्म क्या किसी का निजी मामला है और क्या सरकार को धर्म के मामलों में दखल देना चाहिए।