पिछले काफ़ी दिनों से जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा फिर से पढ़ रहा था। पेज नंबर 265 पर आ कर अटक गया। यहां नेहरू गांधी जी के बारे में बात कर रहे हैं और गांधी की व्याख्या करते-करते समझाते हैं कि दरअसल गांधी की नज़र में लोकतंत्र क्या है। नेहरू लिखते हैं, “गांधी जी की नज़र में लोकतंत्र एक पराभौतिकीय व्यवस्था है। सामान्य अर्थ में इसका बहुमत, संख्या बल और प्रतिनिधित्व से कोई लेना-देना नहीं है। यह सेवा और त्याग पर आधारित है और नैतिक दबाव का इस्तेमाल करती है।”