जलवायु परिवर्तन यानी जहरीली होती हवा, कभी अधिक गर्मी तो कभी अधिक सर्दी, कहीं सूखा तो कहीं बाढ़। अप्रत्याशित होते जा रहे मौसम को लेकर 2023 बड़ी चेतावनी दे गया है।
ग्लोबल वार्मिंग से ख़तरों को लेकर आगाह किया जाता रहा है। इसमें ग्लेशियरों के पिघलने से तटीय शहरों के डुबने की आशंका तक शामिल है। नये शोध में स्वास्थ्य पर पड़ने वाले घातक प्रभाव को लेकर आगाह किया गया है।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का कृषि पर क्या असर होगा, यह गेहूँ की फ़सल पर इस बार साफ़ दिख गया। गेहूँ के दाने सूख गए। तो क्या आगे जल्द ही भुखमरी का संकट आने वाला है?
संयुक्त राष्ट्र के इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज ने अपनी छठी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति अनुमान से बदतर है और जो नुक़सान हो चुका है, वह ठीक नहीं होगा या उसमें हज़ारों साल लगेंगे।