अखिलेश यादव ने कहा है कि ममता बनर्जी के घायल होने की सूचना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में तत्काल एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर जांच होनी चाहिए, जिससे सच सामने आ सके।
पश्चिम बंगाल चुनाव में जय श्री राम के मुक़ाबले जय माँ दुर्गा का नारा बुलंद करने के बाद ममता बनर्जी ने तुरूप का एक और पत्ता फेंका है। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का नया नारा है ‘बंगाल माँगे बंगाल की बेटी’।
पश्चिम बंगाल में चुनाव शुरू होने से पहले ही मची चुनावी हलचल के बीच अब सीबीआई की एक कार्रवाई हुई है। ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के घर सीबीआई पहुँची है और उनकी पत्नी से कोयला तस्करी मामले की जाँच में शामिल होने को कहा है।
चुनावों में अपने मुताबिक़ मुद्दे तय करने में माहिर बीजेपी पश्चिम बंगाल में लगता है कि तृणमूल द्वारा तय मुद्दे में फँसती दिख रही है। राम और दुर्गा विवाद के बहाने बाहरी और बंगाली का मुद्दा ख़ड़ा होता दिख रहा।
ममता बनर्जी के समर्थक नये नारे- 'बंगला निजेर मयेके छै' यानी 'बंगाल को अपनी बेटी ही बेटी चाहिए' को सोशल मीडिया पर है शेयर कर रहे हैं। ममता क्या अब 'दीदी' कहा जाना पसंद नहीं करती हैं? आख़िर उन्होंने अब 'बंगाल की बेटी' का नारा क्यों दिया है?
बंगाल चुनाव बड़े रोचक मोड पर है। बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी है। क्या ममता हार जायेगी? आशुतोष ने जाना मशहूर चुनाव विशेषज्ञ और सेफोलाजिस्ट संजय कुमार से।
पश्चिम बंगाल में अगले अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। यहाँ तृणमूल 10 साल से सत्ता में है और अब तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। लेकिन क्या वह ऐसा कर पाएगी?
पश्चिम बंगाल के चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिश तो काफ़ी पहले से हो रही है, लेकिन अब बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा से कई लोग इतने आशंकित हैं कि कलकत्ता हाई कोर्ट में इसको चुनौती दी है।
नये कृषि क़ानूनों पर किसान आंदोलन में हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने उन क़ानूनों के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है। इन क़ानूनों को किसान विरोधी क़रार दिया गया है और इसको वापस लेने की माँग की है।
पश्चिम बंगाल में आम धारणा यही है कि तृणमूल ही वापस सत्ता में आएगी। पुलिस और मीडिया की भी यही राय है। जानिए वे कौनसी शक्तियाँ हैं जो तूफ़ानी हवाओं में भी ममता की नाव को पार लगाने में मदद कर रही हैं।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और सत्ता के सबसे बड़े दावेदार के तौर पर उभरी भारतीय जनता पार्टी के बीच लगातार तेज़ होती राजनीतिक शतरंज की बाज़ी में राज्य काडर के आईपीएस अधिकारी मोहरा बनते जा रहे हैं।