भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से अडानी समूह के बारे में गुरुवार को सूचनाएं मांगी हैं। आरबीआई जानना चाहता है कि किन बैंकों ने अडानी कंपनियों में निवेश कर रखा है। सेबी भी कथित तौर पर जांच कर रहा है। सत्य हिन्दी पर अडानी की खबरों का अपडेट जानते रहिए।
क्या अडानी ग्रुप की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं? हिंडनबर्ग की रिसर्च के बाद आख़िर अडानी ग्रुप बैकफुट पर क्यों है? जानिए कांग्रेस ने अब क्या मांग की है।
क्या आरबीआई द्वारा उठाए गए क़दमों के बाद से महंगाई काबू में आ रही है? दिसंबर महीने की महंगाई दर के आँकड़े के क्या मायने हैं?
देश में प्रचलित नोटों (करंसी) पर अगर कुछ लिखा है तो इस वजह से वो नोट अमान्य मुद्रा नहीं हो जाती। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वो इसके बावजूद मान्य मुद्रा रहेगी लेकिन बेहतर है कि नोट पर कुछ नहीं लिखा जाए। दरअसल, एक अफवाह फैलने पर सरकार को यह स्पष्टीकरण जारी करना पड़ाः पूरी जानकारीः
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2 जनवरी को आने वाला है। इंडियन एक्सप्रेस ने आज 28 दिसंबर को एक रिपोर्ट छापकर बताया है कि सरकार और आरबीआई ने नोटबंदी को लेकर कई तथ्य सुप्रीम कोर्ट से छिपा लिए। जिन तथ्यों के आधार पर नोटबंदी की बात कही गई थी, वास्तविकता से दूर थी। पढ़िए रिपोर्टः
आरबीआई ने जो डिजिटल रुपया जारी किया है उसको लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को आख़िर क्यों आपत्ति है? वह क्यों ग़ुस्से में कह रहे हैं कि नोट से भी तसवीर हटा दें?
महंगाई कम होती हुई दिख रही है, लेकिन क्या आगे भी ऐसा ही होगा? रिजर्व बैंक के आकलन क्या कहते हैं? यदि मॉनसून ख़राब हुआ तो क्या हाल होगा?
रिजर्व बैंक ने कहा महंगाई के बुरे दिन बीत गए। लेकिन क्या महंगाई की फिक्र भी खत्म हुई? कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में सुधार दिख रहा है, लेकिन क्या इससे माल बिकने लगेगा? आज माइंड योर बिजनेस में इसी पर बात।
अक्टूबर महीने के महंगाई आंकड़े सोमवार को आने वाले हैं लेकिन उससे पहले ही शनिवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिया कि महंगाई का आंकड़ा अक्टूबर में कम हो सकता है। उनका अनुमान है कि यह 7 फीसदी से नीचे रहेगी। उन्होंने और क्या कहाः
आरबीआई ने बीते कुछ महीनों में लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। रेपो रेट के बढ़ने से घर की ईएमआई यानी होम लोन, गाड़ियों के लिए लिए गए लोन और पर्सनल लोन भी महंगे हो जाएंगे।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। RBI गवर्नर : भारतीय अर्थव्यवस्था High inflation से जूझ रही । कांग्रेस का देशव्यापी प्रदर्शन, राहुल,प्रियंका लिए गए हिरासत में ।
संसद में दो दिन पहले ही बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा ने दावे के साथ कहा था कि महंगाई कहीं पर भी है ही नहीं। तो क्या सच में ऐसा है? आरबीआई गर्वनर क्या मानते हैं?
आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा दिया है। निश्चित रूप से इससे महंगाई की मार और ज़्यादा पड़ेगी।
क्या आरबीआई द्वारा उठाए गए क़दमों का असर दिखने लगा है और इसी वजह से महंगाई मामूली रूप से कम हुई है? या फिर कुछ और वजह है?
महंगाई कब तक चलेगी? रिजर्व बैंक को कब तक महंगाई बर्दाश्त के बाहर रहने की आशंका दिख रही है? इससे निपटने के लिए वो कितना ब्याज और बढ़ाएगा?
रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद क्या महंगाई की मार और ज़्यादा पड़ेगी? क्या इससे आम आदमी सबसे ज़्यादा प्रभावित होगा?
जीडीपी विकास दर की रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई। इसमें चौथी तिमाही में वह दर गिरकर 4.1 फ़ीसदी तक पहुँच गई। ऐसे में क्या बेतहाशा बढ़ती महंगाई भारत के विकास की गति को बेपटरी कर देगी?
पिछले कुछ दिनों से भले ही वाराणसी के ज्ञानवापी मसजिद विवाद पर चारों तरफ़ शोर है, लेकिन इस शोर के बीच ही महंगाई के आँकड़े भी सामने आए हैं। जानिए, खुदरा के बाद अब थोक महंगाई का हाल।
रिजर्व बैंक ने चौंकाया है। इसने रेपो रेट 40 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दिया है। अब यह बढ़कर 4.40% हो गया है। तो इस बढ़ोतरी के मायने क्या हैं? इससे किसे क्या फायदा और क्या नुक़सान होगा?
रेपो रेट बढ़ाए जाने का सीधा असर आम आदमी पर होगा। पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए क्या यह बड़ा झटका है?
रिवर्स रेपो रेट में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है और यह 3.35 फीसद पर बना हुआ है।
जीडीपी यानी सकल घरेलू विकास दर पर माथापच्ची जारी है। रिज़र्व बैंक ने आज ही कहा है कि आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी विकास दर 10.5 फ़ीसदी रहेगी। आईएमएफ़ ने भी कहा है कि यह दर 12.5 फ़ीसदी रहेगी। पर कैसे संभव?
बजट पेश किए जाने के बाद पहली बार भारत के रिज़र्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर का अनुमान व्यक्त किया है। इसने कहा है कि 2021-22 में जीडीपी 10.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान है।
भारत के बैंकिंग क़ारोबार में बड़ी खलबली की तैयारी है। रिज़र्व बैंक के एक समूह ने राय दी है कि देश के बड़े उद्योग घरानों को बैंकिंग लाइसेंस दिए जा सकते हैं। जानिए क्यों रघुराम राजन और विरल आचार्य ने की आलोचना...
रिजर्व बैंक के एक समूह ने राय दी है कि देश के बड़े उद्योग घरानों को बैंकिंग लाइसेंस दिए जा सकते हैं। जानकार इस प्रस्ताव पर सवाल उठा रहे हैं इसपर हैरानी नहीं होनी चाहिए। हैरानी की बात तो यही है कि इस वक्त ऐसा प्रस्ताव आया क्यों?
आरबीआई का अनुमान है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी में 8.6 फ़ीसदी की सिकुड़न आएगी। अब तकनीकी तौर पर भी कहा जा सकता है कि भारत में आर्थिक मंदी आ गई है।