अगर अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी के मसले पर वोट डाले गये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है कि वह दुबारा प्रधानमंत्री न बनें।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ नोटबंदी के बाद क़रीब 88 लाख करदाताओं ने टैक्स रिटर्न नहीं भरा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने करदाताओं ने रिर्टन क्यों नहीं भरा? क्या इन लोगों की आमदनी कम हो गयी या नौकरी चली गयी?
गाँवों में किसानी और रोज़गार की हालत कितनी ख़राब है, यह मनरेगा के आँकड़े साफ़ बयान कर रहे हैं। पिछले साल के मुक़ाबले इस साल मनरेगा में काम माँगने में रिकॉर्ड दस फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
सरकार के कामकाज पर अंगुली उठाने वाले आर्थिक आँकड़ों से छेड़छाड़ और इन संस्थानों की स्वायत्तता पर हो रहे हमलों पर देश के बड़े अर्थशास्त्रियों ने जताई चिंता।