केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि यमन में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया के मामले में केवल उनके परिवार को ही पीड़ित के परिजनों से माफ़ी मांगने और बातचीत करने की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार ने कहा कि किसी बाहरी संगठन या व्यक्ति का हस्तक्षेप इस मामले में मददगार नहीं होगा। यह बयान शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आया, जहां 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने यमन में पीड़ित के परिवार से बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की अनुमति मांगी थी।
निमिषा मामले में बाहरी दख़ल के बजाय परिवार ही बात करे: केन्द्र ने SC से कहा
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- 18 Jul, 2025
नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी से बचाने की कोशिशों पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से क्यों कहा कि बाहरी हस्तक्षेप नहीं हो और सिर्फ़ पीड़ित परिवार ही समझौते की बात कर सकता है? तलाल के परिवार का रुख क्यों सख्त है?

केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में यमन के एक नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का दोषी पाया गया था। यमनी कानून के तहत उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी। निमिषा का दावा है कि तलाल ने उनके साथ मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया था और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था। पासपोर्ट वापस लेने के लिए उन्होंने तलाल को बेहोशी की दवा दी, लेकिन गलती से अधिक मात्रा में दवा देने से उनकी मौत हो गई।