कांग्रेस आजकल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रतिनिधित्व को लेकर मुखर है। राहुल गाँधी लगातार जाति जनगणना की मांग उठा रहे हैं, जिसका मकसद ओबीसी समुदाय की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगाना है। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बारे में सामान्य जनगणना से जानकारी मिल जाती है, लेकिन ओबीसी की स्थिति स्पष्ट करने के लिए व्यापक डेटा की जरूरत है।
निजी क्षेत्र में आरक्षण की ओर बढ़ रही है राहुल की राजनीति?
- विश्लेषण
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- 17 Jul, 2025

Reservation in Private Sector: राहुल गांधी ने हाल की बैठकों और बयानों में निजी क्षेत्र में आरक्षण की ज़ोरदार वकालत की है। क्या यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है या सियासी रणनीति? जानें पूरी पड़ताल।
इसी दिशा में, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ओबीसी सलाहकार परिषद का गठन किया। 15 जुलाई 2025 को बेंगलुरु में हुई इस परिषद की बैठक में तीन अहम प्रस्ताव पारित किए गए, जिन्हें "बेंगलुरु घोषणापत्र" के रूप में जाना जा रहा है। ये प्रस्ताव हैं:
- राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना: तेलंगाना मॉडल की तर्ज पर।
- आरक्षण की 50% सीमा हटाने की माँग।
- निजी शैक्षिक संस्थानों में ओबीसी कोटा लागू करना।
लेकिन इस बैठक में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक क़दम आगे बढ़ते हुए निजी क्षेत्र में आरक्षण की माँग उठायी। उन्होंने निजी क्षेत्र की नौकरियों, सरकारी प्रोन्नतियों, ठेकों और वित्तीय सहायता योजनाओं में ओबीसी के लिए 75% आरक्षण या जाति जनगणना के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व की माँग की। यह मांग बेंगलुरु घोषणापत्र से भी आगे की है और इसने सियासी हलचल मचा दी है।