सपा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर अलीगढ़ में आख़िर क्यों हमला किया गया और हमलावर कौन थे? जानिए, अखिलेश यादव ने हमले को दलित सांसद के खिलाफ साजिश क्यों बताया।
सपा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर टायर फेंकते लोग। (वीडियो ग्रैब)
समाजवादी पार्टी सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर रविवार को अलीगढ़ में करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। इस हमले के दौरान सांसद के काफिले में शामिल कई गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त हो गईं और उनके समर्थकों के साथ झड़प के हालात बने। अलीगढ़ पुलिस ने कहा है कि वह इस मामले में कार्रवाई कर रही है। सांसद के काफिले पर हमले ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है। इस हमले ने न केवल कानून-व्यवस्था के सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सपा और बीजेपी के बीच चल रहे तीखे राजनीतिक टकराव को भी उजागर किया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना को योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोलने के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने इस हमले को 'साजिश' और 'दलित विरोधी' क़रार दिया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए योगी सरकार पर तीखा हमला बोला।
अखिलेश यादव ने कहा कि सांसद रामजी लाल सुमन जी के क़ाफ़िले पर टायर व पत्थर फेंककर, उनके ऊपर जो जानलेवा हमला हुआ है वो उस ऐक्सीडेंट का कारण बना है, जो जानलेवा दुर्घटना में भी बदल सकता था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हमला सुनियोजित था और इसके पीछे बीजेपी सरकार की शह थी। सपा प्रमुख ने कहा, "ये एक आपराधिक कृत्य है। इतने टायर एक साथ इकट्ठा करना, एक गहरी साज़िश का सबूत ख़ुद है। ये एक बार फिर इंटेलिजेंस की गहरी चूक है या फिर जानबूझकर की गयी अनदेखी है। अगर शासन-प्रशासन ये सब जानते हुए भी अंजान बनने की कोशिश कर रहा है तो वो ये जान ले कि अराजकता किसी को भी नहीं बख्शती है, एक दिन भाजपाई और उनके संगी-साथी भी ऐसे हिंसक तत्वों का शिकार होंगे। देश में एक सांसद के ऊपर हुए जानलेवा हमले का संज्ञान लेना वाला कोई है या फिर ‘पीडीए का सांसद’ होने के कारण वर्चस्ववादियों की सरकार शर्मनाक चुप्पी साधकर भूमिगत हो जाएगी।" अखिलेश यादव ने कहा,
अब क्या बुलडोज़र का दम बेदम हो गया है या यूपी की सरकार ने अराजकता के आगे समर्पण कर दिया है या फिर ये सब यूपी सरकार की रज़ामंदी से हो रहा है?
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष दुर्गेश सिंह ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि जब तक सुमन अपने विवादित बयानों पर माफ़ी नहीं मांगते, ऐसे प्रदर्शन जारी रहेंगे। यह हमला उस समय हुआ जब सुमन बुलंदशहर के सुनहरा गाँव में एक दलित महिला की मौत के मामले में पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे। इस मामले में एक थार वाहन द्वारा कथित तौर पर महिला को कुचल दिया गया था। इस बीच सुमन सहित सपा के प्रतिनिधिमंडल को अलीगढ़-बुलंदशहर सीमा पर गवाना में पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद तनाव बढ़ गया।
अखिलेश ने हमले को आगरा में 26 मार्च को सुमन के घर पर हुए हमले से जोड़ा। इसमें करणी सेना ने राणा सांगा पर सुमन के विवादित बयान के विरोध में तोड़फोड़ की थी। उन्होंने कहा था, 'यह करणी सेना नहीं, योगी सेना है, जिसे सरकार फंडिंग दे रही है।' अखिलेश ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह इतिहास के पन्ने पलटकर सामाजिक तनाव पैदा करती है और दलितों-पिछड़ों को निशाना बनाती है। अलीगढ़ पुलिस का कहना है कि 'सांसद रामजीलाल सुमन जी के काफिले पर कुछ लोगों द्वारा टायर फेके जाने को लेकर संबंधित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर अभियुक्तों की शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा रही है। प्रकरण में शिथिलता बरतने के लिए स्थानीय चौकी प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर थाना प्रभारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जा रही है।'
बता दें कि इस हमले का तात्कालिक कारण सुमन का राणा सांगा पर दिया गया बयान है। 21 मार्च को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान सुमन ने राणा सांगा को 'गद्दार' कहा था और दावा किया था कि उन्होंने बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था। इस बयान से राजपूत समुदाय और करणी सेना भड़क गई। इसके बाद आगरा में उनके घर पर हमला हुआ था और अब अलीगढ़ में उनके काफिले पर हमला किया गया।
सुमन ने बाद में 14 अप्रैल को करणी सेना को 'दो-दो हाथ' करने की चुनौती दी थी, जिससे विवाद और बढ़ गया। करणी सेना ने माफी की मांग की और ऐसा नहीं होने पर हिंसक प्रदर्शन किए।
सुमन के बेटे रणजीत ने आगरा हमले में लाठी-डंडों और तलवारों से लैस हमलावरों द्वारा कारों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। बहरहाल, यह हमला उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई स्तरों पर प्रभाव डाल सकता है। अखिलेश यादव ने इस हमले को दलित उत्पीड़न से जोड़कर अपनी पीडीए रणनीति को और मज़बूत करने की कोशिश की है। सपा लंबे समय से दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। सुमन एक प्रमुख दलित नेता हैं। उन पर हमला सपा को इस समुदाय के बीच सहानुभूति हासिल करने का अवसर देता है।
अखिलेश ने इस हमले को योगी सरकार की 'कानून-व्यवस्था की विफलता' और 'दलित विरोधी नीतियों' से जोड़ा है। उन्होंने योगी को 'आउटगोइंग सीएम' कहकर 2027 के विधानसभा चुनावों में सपा की वापसी का संदेश दिया। बीजेपी ने जवाब में सुमन के बयान को तुष्टिकरण करार दिया और अखिलेश पर जातीय संघर्ष भड़काने का आरोप लगाया। पहले फिल्म 'पद्मावत' और राजपूत आरक्षण जैसे मुद्दों पर हिंसक प्रदर्शनों के लिए चर्चित रही करणी सेना इस हमले को लेकर फिर से सुर्खियों में है। अखिलेश ने इसे योगी सेना कहकर बीजेपी से जोड़ा, जिससे सवाल उठता है कि क्या यह संगठन बीजेपी के लिए प्रॉक्सी के तौर पर काम कर रहा है। करणी सेना के अध्यक्ष सूरज पाल सिंह अमू ने हिंसा को ग़लत ठहराते हुए शांतिपूर्ण विरोध की बात की, लेकिन हमले की ज़िम्मेदारी लेने से इनकार नहीं किया।
यह हमला उत्तर प्रदेश में जातिगत तनाव को और भड़का सकता है। राणा सांगा पर सुमन का बयान राजपूत समुदाय के लिए अपमानजनक माना गया, जबकि सपा इसे दलित सांसद पर हमले के रूप में पेश कर रही है। इससे दलित-राजपूत तनाव बढ़ सकता है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले से ही संवेदनशील है।
अखिलेश यादव ने इस हमले को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़े नैरेटिव के रूप में इस्तेमाल किया है। सुमन पर हमले को दलित उत्पीड़न से जोड़कर अखिलेश ने पीडीए गठबंधन को और मजबूत करने की कोशिश की। उन्होंने योगी को 'सामंतवादी' और 'दलित विरोधी' करार दिया और हमले के लिए उनकी 'जातीय कनेक्शन' को जिम्मेदार ठहराया। अलीगढ़ में सुमन पर हमला केवल एक हिंसक घटना नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की उलझी जातिगत राजनीति को भी दिखाती है। यह घटना 2027 के चुनावों से पहले जातिगत ध्रुवीकरण और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को और गहरा सकती है। यदि प्रशासन हमलावरों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई नहीं करता, तो यह बीजेपी की "जीरो टॉलरेंस" की नीति पर सवाल उठाएगा। यह घटना उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नए टकराव की शुरुआत हो सकती है।