पश्चिमी अफ्रीका के देश माली में जिहादी संगठनों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। माली के पश्चिमी क्षेत्र के कोब्री (कॉबरी) इलाके के पास गुरुवार (7 नवंबर) को एक विद्युतीकरण परियोजना पर कार्यरत पांच भारतीयों का अपहरण कर लिया गया। अधिकारियों और सुरक्षा स्रोतों ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की, जबकि माली की सैन्य सरकार जिहादी विद्रोह को दबाने के लिए संघर्षरत है। अपहरणकर्ताओं ने अभी तक कोई जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन संदेह अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) से जुड़े समूहों पर है, जो देश के बड़े हिस्से पर कब्जा जमाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

अपहरण की घटना: क्या हुआ? 

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, अपहरण माली के पश्चिमी क्षेत्र के कोब्री के पास एक सड़क पर हुआ, जहां ये पांच भारतीय इंजीनियर और तकनीशियन एक निजी कंपनी के तहत ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजना पर काम कर रहे थे। एएफपी (एजेंसी फ्रांस-प्रेस) के मुताबिक एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि सशस्त्र हमलावरों ने गुरुवार दोपहर को कार्यकर्ताओं के काफिले को रोक लिया और उन्हें जबरन बंधक बना लिया। कंपनी के एक प्रतिनिधि ने पुष्टि करते हुए कहा, "हम पांच भारतीय नागरिकों के अपहरण की पुष्टि करते हैं। बाकी भारतीय कर्मचारियों को सुरक्षा के मद्देनजर राजधानी बमाको में भेज दिया गया है।"
अपहरण के बाद कंपनी ने तत्काल सभी भारतीय कर्मचारियों को बमाको भेज दिया, जहां वे सुरक्षित हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और माली में भारतीय दूतावास को निर्देश दिए हैं कि वह स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर अपहृतों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे। एमईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "विदेश में भारतीयों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम माली सरकार से अपील करते हैं कि वे सभी आवश्यक कदम उठाएं और अपहृत भारतीयों को शीघ्र मुक्त करवाएं।" दूतावास अपहृतों के परिवारों से भी लगातार संपर्क में है और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया गया है।
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अपहृत भारतीयों के नाम अभी गोपनीय रखे गए हैं, लेकिन स्रोतों के मुताबिक वे विभिन्न राज्यों से हैं और माली में कई महीनों से कार्यरत थे। यह घटना माली में विदेशी नागरिकों पर बढ़ते हमलों की एक कड़ी है, जहां अपहरण को अक्सर फिरौती के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

माली का संकट: अल-कायदा और आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव

माली, जो 2020 से सैन्य जुंटा के शासन में है, पिछले एक दशक से जिहादी हिंसा और अस्थिरता का शिकार है। 2012 से शुरू हुए तुआरेग विद्रोह के बाद अल-कायदा और आईएसआईएस से जुड़े समूहों ने देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों पर कब्जा जमा लिया। वर्तमान में, अल-कायदा की सहयोगी संगठन 'जामा'अत नुस्रत अल-इस्लाम वल मुस्लिमीन' (जेएनआईएम) सबसे सक्रिय है, जो बमाको की राजधानी पर घेराबंदी करने की कोशिश कर रहा है।
सितंबर 2025 से जेएनआईएम ने ईंधन टैंकरों के सप्लाई मार्गों पर नाकाबंदी कर दी है, जिससे बमाको और अन्य शहरों में गंभीर ईंधन संकट पैदा हो गया है। जुलाई 2025 में जेएनआईएम ने माली, बुर्किना फासो और नाइजर में सैकड़ों हमले किए, जिसमें 36 हमले केवल माली में हुए। विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 के पहले छह महीनों में जेएनआईएम ने बुर्किना फासो में ही 280 से अधिक हमले किए, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है। आईएसआईएस से जुड़ा समूह आईएसएसपी भी माली के मध्य क्षेत्र में सक्रिय है और जेएनआईएम के साथ क्षेत्रीय वर्चस्व के लिए संघर्ष कर रहा है।
माली की सैन्य सरकार ने रूस की सहायता से जिहादियों के खिलाफ अभियान चलाया है, लेकिन हाल के महीनों में हार का सामना करना पड़ा है। अक्टूबर 2025 में जेएनआईएम ने सात शहरों में सैन्य ठिकानों पर हमला कर 80 से अधिक लड़ाकुओं को मार गिराया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, साहेल क्षेत्र (माली, नाइजर, बुर्किना फासो) में 2025 में 2 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, और हजारों नागरिक मारे गए हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और इटली जैसी पश्चिमी सरकारों ने अपने नागरिकों को तत्काल माली छोड़ने की सलाह दी है।
पिछले महीनों में विदेशियों के अपहरण बढ़े हैं। सितंबर 2025 में जेएनआईएम ने बमाको के निकट दो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के नागरिकों और एक ईरानी को अपहरण किया, जिन्हें पिछले सप्ताह कम से कम 50 मिलियन डॉलर की फिरौती पर रिहा किया गया। जुलाई 2025 में भी माली के एक सीमेंट कारखाने में तीन भारतीयों का अपहरण अल-कायदा से जुड़े समूह ने किया था, जो बाद में रिहा हुए। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि जिहादी समूह विदेशी नागरिकों को फिरौती का स्रोत बना रहे हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और भी कमजोर हो रही है।

भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की आशंकाएं 

भारतीय सरकार ने माली में रहने वाले सभी भारतीयों को सतर्क रहने और दूतावास से संपर्क में रहने की सलाह दी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने माली के विदेश मंत्री को फोन कर अपहृतों की सुरक्षित रिहाई की मांग की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अपहरण जेएनआईएम या आईएसएसपी जैसे समूहों की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जो विदेशी कंपनियों को देश से भगाने और आर्थिक दबाव बनाने के लिए अपहरणों का सहारा ले रहे हैं।
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माली की अस्थिरता न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रही है, बल्कि पूरे साहेल क्षेत्र को 'जिहादी कैलिफेट' में बदलने का खतरा पैदा कर रही है। यदि बमाको पर जेएनआईएम का कब्जा हो गया, तो यह अल-कायदा के लिए ऐतिहासिक जीत होगी। भारत, जो अफ्रीका में विकास परियोजनाओं के माध्यम से सक्रिय है, को अब अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए नई रणनीति अपनानी पड़ सकती है।