नेपाल की राजधानी काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में जेन-जी (युवा पीढ़ी) के प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगें सेना और सरकार के सामने रखी हैं। उनकी मांग है कि देश का संविधान या तो पूरी तरह से फिर से लिखा जाए या इसमें व्यापक संशोधन किया जाए। इसके साथ ही, पिछले तीन दशकों में कथित तौर पर जनता की लूटी गई संपत्तियों की गहन जांच की जाए। जे़न-जी के प्रतिनिधियों ने आधी रात को नेपाल के सेना प्रमुख के साथ बैठक की। आज बुधवार 10 सितंबर को उनकी मुलाकात राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से शाम को होगी। इस बीच काठमांडू में एयरपोर्ट अभी भी बंद है। सेना शहर में गश्त कर रही है। 

नेपाल में अब तक क्या-क्या हुआ

  • काठमांडू में बुधवार को हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। सेना शहर में गश्त कर रही है
  • नेपाल में अराजकता का फायदा उठाकर कई जेल टूट गई, कैदी भाग निकले  
  • युवा प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों ने सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल से मुलाकात की 
  • प्रतिनिधि बुधवार 10 सितंबर को राष्ट्रपति रामचंद्र से मिलेंगे, अपनी मांगें रखेंगे 
  • युवा प्रतिनिधि ने अपनी शुरुआती मांग में कहा कि देश का संविधान फिर से लिखा जाए 
  • उनकी मांग है कि पिछले तीन दशक में सरकार में रहे नेताओं की संपत्ति की जांच की जाए 
  • मंगलवार को काठमांडू और आसपास के इलाकों में हिंसा की बड़ी घटनाएं हुईं 
  • हिंसा बढ़ने पर सेना ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने के लिए कहा
  • संसद भवन, राष्ट्रपति भवन में आग लगा दी गई, सुप्रीम कोर्ट में प्रदर्शनकारी घुस गए 
  • कई पूर्व पीएम के घरों पर हमले हुए, उन्हें जला दिया गया, कई मंत्रियों के इस्तीफे हुए 
  • नेपाल के लोकप्रिय नेताओं में शुमार प्रचंड, शेर बहादुर देउबा भी हमलों का शिकार हुए 
  • पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार को ज़िंदा जला दिया गया

नेपाल में गिरफ्तारियां शुरू

नेपाली सेना ने बुधवार को लूटपाट की घटनाओं पर लगाम कसते हुए महाराजगंज में चार लोगों को गिरफ्तार किया। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ संदिग्ध व्यक्ति सुरक्षा बलों को देखकर ₹232,500 और 2,500 डॉलर, तथा एक लूटा हुआ हथियार छोड़कर भाग गए। सेना ने लोगों से अवैध हथियार जमा कराने को कहा है। इसके अलावा, सेना ने दादेलधुरा स्थित जिला कारागार से भागे 26 कैदियों को हिरासत में ले लिया और काठमांडू के दिल्लीबाजार स्थित केंद्रीय कारागार से भागने की कोशिश कर रहे अन्य कैदियों को भी रोका।

नेपाली सेना का बुधवार का बयान

नेपाली सेना ने जेन जेड के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी बढ़ती अशांति के मद्देनजर निषेधाज्ञा और देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है। जनसंपर्क एवं सूचना निदेशालय द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में, सेना ने कहा कि निषेधाज्ञा बुधवार शाम 5:00 बजे तक लागू रहेगी। गुरुवार सुबह 6:00 बजे से पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया जाएगा। सेना ने आगे कहा कि आगे के फैसले सुरक्षा हालात के अनुसार लिए जाएँगे। विज्ञप्ति में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अब तक के सहयोग के लिए नागरिकों का आभार व्यक्त किया गया है, साथ ही प्रदर्शनों के दौरान हुए जान-माल के नुकसान पर दुख भी व्यक्त किया गया है।
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अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अराजक तत्वों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है, आगजनी, लूटपाट, सार्वजनिक और निजी संपत्ति की तोड़फोड़, टारगेट हिंसक हमले और यहाँ तक कि यौन उत्पीड़न का प्रयास भी किया है। सेना ने कहा, "विरोध प्रदर्शन के नाम पर किए गए ऐसे किसी भी आपराधिक कृत्य को दंडनीय अपराध माना जाएगा और सुरक्षा बल कड़ी कार्रवाई करेंगे।" कर्फ्यू के दौरान एम्बुलेंस, शव वाहन, दमकल वाहन और स्वास्थ्य कर्मियों व सुरक्षाकर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों सहित आवश्यक वाहनों को चलने की अनुमति होगी। सेना ने सभी नागरिकों से अनुरोध किया है कि यदि आवश्यक हो तो वे आस-पास के सुरक्षाकर्मियों के साथ समन्वय स्थापित करें। सेना ने रिटायर्ड सैनिकों, सरकारी कर्मचारियों, पत्रकारों और आम जनता से भी अपील की है कि वे गलत सूचनाओं में न पड़ें और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। एकता पर ज़ोर देते हुए, इसने सभी नेपालियों से राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा करने, सामाजिक सद्भाव बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा तथा मानवीय सहायता प्रदान करने में सुरक्षा बलों का सहयोग करने का आह्वान किया।
प्रदर्शन की वजह और मांगें
युवा प्रदर्शनकारी, जो मुख्य रूप से 1990 के दशक से अब तक के राजनीतिक और आर्थिक हालात से असंतुष्ट हैं, सड़कों पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि मौजूदा संविधान जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में नाकाम रहा है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि संविधान में बदलाव के बिना देश में सुशासन और पारदर्शिता संभव नहीं है। इसके अलावा, वे पिछले 30 वर्षों में राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों द्वारा कथित रूप से हड़पी गई संपत्तियों की जांच की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वर्तमान प्रतिनिधि सभा को फौरन भंग किया जाए, क्योंकि इसने जनता का विश्वास खो दिया है। अंतरिम सरकार बनाई जाए और तय समय के बाद नए चुनाव कराए जाएं। चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और जनभागीदारी पर आधारित हों। प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित कार्यकारी नेतृत्व की स्थापना की जाए। पिछले तीन दशकों में लूटी गई संपत्तियों की जाँच और अवैध संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण। पाँच मूलभूत संस्थाओं: शिक्षा, स्वास्थ्य, कोर्ट, सुरक्षा और संचार का सुधार और पुनर्गठन किया जाए।
नेपाल के प्रदर्शनकारी न सिर्फ संवैधानिक सुधार चाहते हैं, बल्कि करप्शन के खिलाफ कठोर कदम उठाने की भी मांग कर रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने बैनर और पोस्टर के माध्यम से अपनी मांगों को उजागर किया, जिसमें "नया संविधान, नया नेपाल" और "लूटी गई संपत्ति वापस लाओ" जैसे नारे प्रमुख थे।

सरकार पर बढ़ता दबाव 

नेपाल में प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहे हैं, जब नेपाल की सरकार पहले से ही आर्थिक चुनौतियों और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है। जेन-जी प्रदर्शनकारियों की मांगों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं का यह आंदोलन देश में एक बड़े बदलाव की मांग का प्रतीक है, जिसे नजरअंदाज करना सरकार के लिए मुश्किल होगा।
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प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। दूसरी ओर, सरकार ने अभी तक इन मांगों पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को जल्द ही प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत शुरू करनी होगी, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।