पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने भारत को दो महीनों में दूसरी बार परमाणु हमले की धमकी दी है। उन्होंने कहा, 'हमारी प्रतिक्रिया तबाही लाएगी।'
पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने भारत के खिलाफ दूसरी बार परमाणु हथियारों की भभकी दी है। दो महीनों में यह दूसरी ऐसी बयानबाजी है। उन्होंने कहा है कि भारत की किसी भी सैन्य कार्रवाई का जवाब 'तबाही लाने वाला' होगा। जानकारों का मानना है कि यह पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और सीमा पर तनाव को दबाने की रणनीति हो सकती है।
पाकिस्तानी सेना के एक कार्यक्रम में जनरल आसिम मुनीर ने भारत को लेकर यह भभकी दी। उन्होंने कहा, 'यदि भारत ने हमारी संप्रभुता पर कोई अतिक्रमण किया तो हमारा जवाब न केवल निर्णायक होगा, बल्कि वैसा ही विनाशकारी होगा जैसा कि इतिहास ने कभी न देखा हो। हमारे पास ऐसी क्षमता है जो दुश्मन को पछतावा करा देगी।' हालाँकि, उन्होंने साफ़ तौर पर 'परमाणु' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन कहा जा रहा है कि उनका इशारा पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की तरफ़ था।
यह बयान मई 2025 में कश्मीर सीमा पर हुई गोलीबारी के बाद दिए गए उनके पहले बयान की याद दिलाता है। अगस्त में फ्लोरिडा में पाकिस्तानी प्रवासियों को संबोधित करते हुए मुनीर ने कहा था, 'हम एक परमाणु राष्ट्र हैं। अगर हमें लगता है कि हम डूब रहे हैं, तो हम आधा विश्व अपने साथ ले जाएंगे।' हालाँकि, उससे पहले भी मुनीर ने कहा था, 'भारत की आक्रामकता का जवाब परमाणु स्तर पर दिया जाएगा, जो पूरे क्षेत्र को प्रभावित करेगा।' तब भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निंदा हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे 'रक्षात्मक नीति' का हिस्सा बताया था। मुनीर का ताज़ा बयान उसी धमकी का कड़ी में एक और बयान लगता है, खासकर तब जब भारत ने हाल ही में अपनी 'सर्जिकल स्ट्राइक' क्षमताओं का परीक्षण किया था।
ट्रंप के चहेते बने हैं मुनीर!
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मुनीर की काफ़ी तारीफ़ करते रहे हैं। मुनीर ने हाल ही में तीन बार अमेरिका की आधिकारिक यात्रा की है। पहली यात्रा जून में थी, जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के कुछ हफ्तों बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। दूसरी यात्रा अगस्त में थी जब वे यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर के रिटायरमेंट समारोह में शामिल हुए। तीसरी यात्रा सितंबर में थी, जब उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात की। तब वे संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भाग लेने गए थे।
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर यूएस राष्ट्रपति ट्रंप को दुर्लभ खनिज दिखाते हुए।
परमाणु ब्लैकमेल की नीति
मुनीर के बयान को पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेल की नीति का हिस्सा माना जा रहा है। पाकिस्तान को व्यापक रूप से एक गैर-जिम्मेदार परमाणु हथियार संपन्न देश माना जाता है। ऐसा इसलिए कि परमाणु सामग्री या विशेषज्ञता के गैर सरकारी लोगों तक पहुँचने का जोखिम है। कहा जाता है कि इन गैर सरकारी लोगों में आतंकवादी नेटवर्क भी शामिल है। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सूत्रों ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तानी सेना जैसे संस्थान के हाथों में परमाणु हथियारों पर भरोसा नहीं करता, जो किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है।' सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान 'परमाणु बटन को नियंत्रित' करता है और इससे क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका बनी रहती है।
आतंकी हमलों की आशंका?
मुनीर के बयान को आगे आतंकी हमलों की आशंका के रूप में देखा जा रहा है। इसमें पाकिस्तान अपनी मिसाइल और परमाणु क्षमताओं को राजनीतिक आवरण के रूप में इस्तेमाल करता है। शनिवार को मुनीर ने कहा, 'यदि शत्रुता की नई लहर शुरू होती है तो पाकिस्तान शुरुआत करने वालों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक जवाब देगा। युद्ध और संचार क्षेत्रों के बीच कम होते अंतर के साथ, हमारे हथियार प्रणालियों की पहुंच और घातकता भारत के भौगोलिक युद्ध क्षेत्र की गलत समझी गई प्रतिरक्षा को चकनाचूर कर देगी। सैन्य और आर्थिक नुकसान इतना गहरा होगा कि यह अस्थिरता के अपराधियों की कल्पना और गणना से परे होगा।'
मुनीर का यह ताज़ा बयान पाकिस्तान के परमाणु सिद्धांत 'फर्स्ट यूज' को मजबूत करने का प्रयास है, जो भारत के 'नो फर्स्ट यूज' सिद्धांत के विपरीत है।
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की भारत की नीति काफ़ी ज़िम्मेदाराना रही है। भारत ने हमेशा कहा है कि भारत कभी भी परमाणु बम का इस्तेमाल पहले नहीं करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में दिए बयान में कहा था, 'हमारी नीति स्पष्ट है– शांति, लेकिन मजबूत रक्षा। ऐसी धमकियों से हम विचलित नहीं होंगे।' भारतीय सेना ने भी पहले कहा था कि वे 'पूरी सतर्कता' पर हैं और किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार हैं।
यह घटना दक्षिण एशिया के लिए एक चेतावनी है। क्या मुनीर की धमकी केवल बयानबाजी है या वास्तविक खतरे का संकेत? आने वाले दिनों में कूटनीतिक प्रयास ही तय करेंगे कि शांति बनी रहती है या तनाव और बढ़ता है।