अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाते हैं।
आनंद तेलतुंबडे की जमानत के मामले में भारतीय राज्य की दलीलों को बंबई हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया। अदालत ने पाया कि अभियोग पक्ष के पास आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। राज्य इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय जाना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट क्या इस मामले में व्यक्ति की स्वतंत्रता को अहमियत देगा?
‘दृष्टि’ के संस्थापक और अध्यापक डॉक्टर विकास दिव्यकीर्ति ने वाल्मीकि रामायण और महाभारत के प्रसंगों को उद्धृत भर किया था। लेकिन बिना उनकी पूरी बात सुने भावनाएं आहत होने के नाम पर उन्हें निशाने पर ले लिया गया। क्या उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है?
मोरबी पुल हादसे की चीख-पुकार अभी शांत नहीं हुई है। इस हादसे के बाद भी आखिर क्यों ओरेवा कंपनी के मालिक, नगरपालिका के जन प्रतिनिधि, राज्य सरकार और बीजेपी नेता निश्चिंत हैं?
31 अक्टूबर को कैसे याद किया जाए? सामूहिक हिंसा, हत्या को मात्र एक हादसा मानकर आगे बढ़ जाए? या फिर इस पर आत्मनिरीक्षण किया जाए?
एक ही पूजा घर में भिन्न भिन्न देवी देवताओं की छवियों से हिंदू मन में कभी भी दुविधा या भ्रम नहीं होता। अगर देवी देवता मात्र अलग अलग रूपाकार नहीं, अलग-अलग विचारों या भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो क्या उनके अर्थ पर कभी सामाजिक विचार किया गया है?
हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजों का अलग-अलग फैसला सामने आया है। इस फैसले के बीच महात्मा गांधी के डरबन में अदालत जाने और यूरोपीय मैजिस्ट्रेट के द्वारा उनसे पगड़ी उतारने की बात वाले प्रसंग को याद करना जरूरी है।
ईरान में चल रहे हिजाब आंदोलन को क्या भारत के बुद्धिजीवियों का समर्थन नहीं मिल रहा है? क्या वाकई में ऐसा है?
2014 में 2 अक्टूबर को शुरू किया गया स्वच्छता अभियान क्या सिर्फ नाटक बनकर रह गया है? गाँधी के नाम पर झूठ और पाखंड करना उनकी स्मृति का सबसे बड़ा अपमान है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुसलिम बुद्धिजीवियों की मुलाकात के क्या मायने हैं? क्या संघ से इस तरह की बातचीत होती रहनी चाहिए?
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से क्या पार्टी को मजबूती मिलेगी। क्या यह वास्तव में दूरियों को खत्म कर भारत को जोड़ पाएगी?
क्या गोर्बाचेव लेनिन के मुक़ाबले अधिक क्रांतिकारी थे। लेनिन जो कर रहे थे, वह लोकप्रिय था। गोर्बाचेव एक अप्रिय लेकिन जनता के लिए बेहतर काम कर रहे थे।
कविता कृष्णन ने जिन सवालों को उठाया, उन सवालों को उठाने के लिए उन्हें पार्टी से अलग होना पड़े, इसके लिए पार्टी को भी अपने बारे में सोचने की ज़रूरत है।
गुजरात सरकार के द्वारा बिलकीस बानो के दोषियों को रिहा करने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन क्या प्रधानमंत्री ने चुप्पी तोड़ दी है और सबको जवाब दे दिया है।
क्या जेएनयू कुलपति का स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए केंद्रीय प्रवेश परीक्षा की पद्धति में बदलाव की मांग करना किसी तरह का दुस्साहस है?
स्वतंत्रता का भाव न्याय और समानता के भाव से अनिवार्य रूप से जुड़ा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या हम अपनी आज़ादी की रक्षा कर पा रहे हैं?
हर घर तिंरगा अभियान के बीच यह सवाल फिर से खड़ा हुआ है कि क्या आरएसएस ने तिरंगे को स्वीकार कर लिया है?
राष्ट्रीय आंदोलन में हिंदुओं और मुसलमानों की भागीदारी कैसी हो, किस तरीक़े से मुसलमानों को राष्ट्रीय आंदोलन में साथ लेकर चला जाए? जानिए आज से 90 साल पहले प्रेमचंद ने ‘नवयुग’ शीर्षक से लेख में क्या लिखा था।
राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत से क्या यह संदेश जाता है कि भाजपा और संघ ने सामाजिक न्याय का जाप करने वाली पार्टियों को उन्हीं के मैदान में पछाड़ दिया है।
भगवान गणेश की कथा को ब्रह्मांड में पहली प्लास्टिक सर्जरी की घटना बताना या फिर सुश्रुत को पहला शल्य चिकित्सक बताना, क्या इन बातों के पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क है।
क्या बोलते वक्त इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि वह वहां मौजूद लोगों को कैसी लगेगी? या इस पर ध्यान दिए बिना ही आपको खुलकर अपनी बात रखनी चाहिए।
पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणियों के लिए जब सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को फटकार लगाई तो आखिर क्यों दक्षिणपंथियों ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया?
तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी क्या 2002 में हुए गुजरात दंगों में हिंसा का शिकार हुए मुसलमानों की आवाज़ उठाने की वजह से हुई है?
अग्निपथ योजना को लेकर नौजवानों ने बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। क्यों वे इस योजना के पूरी तरह खिलाफ हैं?
प्रयागराज में हुई हिंसा के आरोपी जावेद मोहम्मद के घर को तोड़ दिया गया। ऐसा करके क्या मुसलिम समुदाय को कोई संदेश दिया गया है?
बीजेपी की कश्मीर नीति किसके हित में है? कश्मीरी पंडितों के? मुसलमानों के? क्या वह कभी भी किसी के हित में रही? ताक़तवर दमनतंत्र के बावजूद कश्मीर में सामान्य जीवन क़ायम क्यों नहीं किया जा सका है?
बीजेपी प्रवक्ता ने एक टीवी डिबेट में पैगंबर के लिए विवादित टिप्पणी की। क्या ऐसा मुसलमानों को अपमानित करने के लिए किया गया? अगर हां, तो फिर मुसलमान इसे लेकर नाराज़ क्यों न हों?