पूरे देश में आग लग गई है। इस बार नौजवान सड़कों पर हैं। बदहवासी में सरकारी दफ़्तरों, रेल गाड़ियों पर अपना ग़ुस्सा उतारते हुए। तोड़ फोड़ और आगजनी करते हुए। पत्थर चलाते हुए। ये दृश्य देखकर सरकार और सरकार के पत्रकार सकते में हैं। ये सब अचानक कहाँ से निकल पड़े? ये इतने क्रुद्ध क्यों हैं? उससे भी पहले सवाल यह है कि ये हैं कौन? क्या इन्हें पत्थरबाज कहा जा सकता है? पत्थरबाज संज्ञा है या विशेषण?
अग्निपथ योजना: सरकार का काम रोज़गार पैदा करना है, देशभक्ति नहीं
- वक़्त-बेवक़्त
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- 20 Jun, 2022


सरकार की किसी भी बात पर भरोसा कैसे करें? अभी दो रोज़ पहले सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता कह रहे थे कि अग्निपथ से एक छोटा हिस्सा ही बहाल होगा, बाक़ी नियमित बहाली चलती रहेगी। लेकिन फिर यह भी पढ़ने को मिला कि अब सारी बहालियाँ इसी रास्ते होंगी। क्या यह अप्रत्यक्ष रूप से धमकी है।
पत्थरबाज तो वे होंगे जिनका शौक या जिनकी आदत पत्थर चलाने की है। वह संज्ञा या विशेषण तो हमारी मीडिया ने इस देश के ख़ास इलाके या समुदाय के लिए निर्धारित कर दी है। ये नौजवान तो उनमें से नहीं हैं। लेकिन जो वे कर रहे हैं, वे हमारे अभिजन कभी नहीं करते।
फिर ये कौन हैं और इन्हें क्या कहें? तीन रोज़ पहले तक इनके हाथ में न पत्थर थे, न डंडे और लाठियां। ये सब गाँवों, क़स्बों में जाड़ा, गर्मी हो या बरसात, सुबह-शाम दौड़ते ही जाते थे। एक कभी न ख़त्म होने वाली सड़क पर ये दौड़ रहे थे, एक ऐसी मंज़िल की ओर जो कभी न कभी आएगी, इस विश्वास या आशा के बल पर ये इस अनंत दौड़ में शामिल थे। कब आएगी, उसका पता इन्हें न था।


























