संजय राय पेशे से पत्रकार हैं और विभिन्न मुद्दों पर लिखते रहते हैं।
महाराष्ट्र और मुंबई में कोरोना का संकट देश में सर्वाधिक है लेकिन उससे हटकर यहाँ सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव का एक नया ही खेल चल रहा है। एक विवाद पर पर्दा गिरता है तो दूसरा शुरू हो जा रहा है।
जिस मुंबई में लाखों लोग दिन-रात मेहनत करके रोजी-रोटी कमाते थे और जो पूरा शहर लोगों से खचाखच भरा रहता था, लॉकडाउन के बाद आज वह वीरान हो गया है।
लॉकडाउन की वजह से पहले ही इस बार गणेश महोत्सव के आयोजन को लेकर सवाल उठ रहे थे लेकिन अब मूर्तियां बनाने में पीओपी का इस्तेमाल न होने के निर्देशों से और मुश्किल बढ़ गई है।
फडणवीस के बढ़ते क़द से महाराष्ट्र बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता असहज महसूस कर रहे हैं। उन्हें हाईकमान की ओर से दी जा रही प्राथमिकता के कारण पार्टी में विरोध बढ़ रहा है।
विधान परिषद चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र बीजेपी में विद्रोह के स्वर मुखर होने लगे हैं। वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने टिकट बंटवारे पर सवाल उठाए हैं।
बुधवार को देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर ऐसे ही ट्रोल के चक्कर में फँस गए। सवाल यह है कि वे कौन लोग हैं जो फडणवीस को ट्रोल कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं?
लॉकडाउन-3 के तहत देश भर में शराब की दुकानें खुलने लगी थी। दूसरी पाबंदियाँ भी हटायी गयी थीं। पर छूट से मची अफ़रातफ़री को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई और दूसरे इलाक़ों में लॉकडाउन में दी गयी छूट वापस ले ली है।
आरोग्य सेतु ऐप को लेकर न सिर्फ़ कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने सवाल खड़े किए हैं बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन नामक एक संगठन ने भी अपनी चिंता जताई है।
आईएफ़एससी को मुंबई के बजाय गुजरात ले जाने के फ़ैसले को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गयी है और इस मुद्दे पर केंद्र व महाराष्ट्र सरकार आमने-सामने है।
मज़दूरों का एक आंदोलन जुलाई 1908 के दौरान मुंबई में हुआ था। यह एक राजनीतिक मज़दूर आंदोलन था। लेकिन यह आंदोलन तिलक के ‘केसरी’ समाचार पत्र की फ़ाइलों और इतिहास के दस्तावेज़ों तक में ही सिमट कर रह गया है।
महाराष्ट्र में क्या प्रेस की आज़ादी पर कुठाराघात हो रहा है? क्या मीडिया कर्मियों पर उद्धव ठाकरे सरकार नाजायज दबाव डाल रही है? या क्या लोगों की सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति पर भी पहरा लगा दिया गया है?
महाराष्ट्र में दो लड़ाईयाँ चल रही हैं, एक कोरोना के ख़िलाफ़ और एक राजनीतिक अस्थिरता को रोकने के लिए। मंत्रिमंडल ने उद्धव ठाकरे को विधायक मनोनीत करने का जो प्रस्ताव भेजा है, उसे राज्यपाल नहीं मानें तो क्या होगा?
कहीं बीजेपी कर्नाटक या मध्य प्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी कमल खिलाने की तो कोई रणनीति तैयार नहीं कर रही है?
मुंबई और महाराष्ट्र में लॉकडाउन का एक महीना पूरा हो चुका है लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं।
क्या पालघर में दो साधुओं को पीट-पीट कर मार डालने की घटना सिर्फ अफ़वाहों की वजह से हुई है?
महाराष्ट्र में बीजेपी के बड़े नेता पीएम केयर्स फंड में धन जुटाने के लिए जिस लिंक को शेयर कर रहे थे, वह फर्जी है।
क्या मध्य प्रदेश, कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी ‘ऑपरेशन लोटस’ को अंजाम दिए जाने की तैयारी चल रही है। वह भी ऐसे समय में जब देश कोरोना का संकट झेल रहा है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने कोरोना संक्रमण को लेकर राहुल गांधी के सुझावों की जमकर सराहना की है।
देश में एक के बाद एक लॉकडाउन लागू किये जा रहे हैं। क्या हमारी केंद्र व राज्य सरकारें सिर्फ़ लॉकडाउन के भरोसे कोरोना से लड़ाई जीतने की उम्मीद लगाये बैठी हैं।
क्या कोरोना वायरस से लड़ाई में भी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव का खेल चल रहा है? या केंद्र सभी शक्तियां अपने हाथों में रखना चाहता है?
आज पूरे देश में हर राज्य जब कोरोना के ख़िलाफ़ एक जंग लड़ रही है तो क्या ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ़ से सहायता निधि को लेकर कोई अलग रणनीति चलाई जा रही है?
महाराष्ट्र सरकार के इस नए पैटर्न के मुताबिक़ कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए राज्य को तीन भागों- रेड, ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन नाम से बाँटा गया है।
महाराष्ट्र कांग्रेस ने कहा है कि वधावन परिवार ने पिछले तीन साल में बीजेपी को 20 करोड़ रुपये का चंदा दिया है जबकि इनकी सभी कंपनियां घाटे में चल रही थीं।
मुंबई में कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए क़रीब 200 स्थानों पर कर्फ्यू को और अधिक कड़ा कर दिया गया है।
कोरोना वायरस को लेकर महाराष्ट्र में अब राजनीति गरमाने लगी है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी और केंद्रीय गृह मंत्री पर सीधा निशाना साधा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना महामारी के कारण भारत के 40 करोड़ लोगों के ग़रीबी रेखा के नीचे जाने का ख़तरा बढ़ गया है और लॉकडाउन से मजूदर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।