महागठबंधन में संकट खत्म करने को लेकर बुधवार को पटना में गतिविधियां तेज़ रहीं। कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर अशोक गहलोत ने AICC बिहार प्रभारी अल्लावरू के साथ आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से उनके आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी भी थीं। दोपहर बाद करीब दो बजे अशोक गहलोत ने इस मुलाकात की फोटो और बयान जारी किया। इससे पहले सुबह तेजस्वी यादव ने कहा था कि गुरुवार को सारी बातें साफ हो जाएंगी। महागठबंधन में कोई कलह नहीं है। अशोक गहलोत ने एक्स पर कहा कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के साथ बेहद सकारात्मक मुलाकात हुई। बिहार में इंडिया गठबंधन पूरी तरह एकजुट है एवं मजबूती से चुनाव लड़ रहा है। कल (गुरुवार) महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

बीजेपी पर महागठबंधन के खिलाफ कैंपेन चलाने का आरोप

राजस्थान के पूर्व सीएम और आलाकमान के दूत अशोक गहलोत ने लिखा- बिहार में भाजपा द्वारा महागठबंधन में फूट डालने एवं माहौल खराब करने के मकसद से प्रायोजित कैंपेन चलाया गया। ऐसा माहौल बना दिया गया जैसे महागठबंधन में आपस में फूट डल गई है। 243 सीटों में 5-7 सीटों पर स्थानीय नेताओं एवं समीकरणों के कारण कई बार फ्रेंड्ली फाइट जैसी परिस्थिति बन जाती है। यह बहुत छोटी संख्या है परन्तु इसे लेकर मीडिया में महागठबंधन के खिलाफ कैंपेन चला दिया गया जबकि असलियत में कोई भी परेशानी नहीं है। बिहार अब बदलाव चाहता है एवं पूरे बिहार की जनता समझ रही है कि प्रदेश में इंडिया गठबंधन की जीत देश एवं प्रदेश के हित में है।

पटना में लालू यादव के निवास पर आरजेडी नेताओं के साथ अशोक गहलोत और अल्लवरू

इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार सुबह महागठबंधन में कलह की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि गठबंधन से जुड़े सभी सवालों के जवाब गुरुवार को मिल जाएँगे। उन्होंने पटना में पत्रकारों से कहा, "कोई विवाद नहीं है। गुरुवार को आपको सारे जवाब मिल जाएँगे।" उन्होंने आगे कहा कि चुनावी मौसम तेज़ होने के साथ ही विपक्षी दल एकजुट है। इसके बाद यही बात अशोक गहलोत ने भी दोहरा दी है। 
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यादव और अशोक गहलोत की मुलाकात में सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने पर बात हो गई है। गुरुवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई है, जहाँ यादव को आधिकारिक तौर पर कांग्रेस की ओर से महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी घोषित किया जा सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव से महज दो सप्ताह पहले महागठबंधन की दरारों ने उसे 'बचाव मोड' में धकेल दिया है। मंगलवार को कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से फोन पर बात की थी, जबकि वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को पटना रवाना किया गया। गठबंधन नेताओं का दावा है कि संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एकता का संदेश दिया जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस पहले बुधवार को होने वाली थी लेकिन तेजस्वी ने बुधवार को साफ किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस गुरुवार को होगी।
गत माह तक एकजुट दिख रहा महागठबंधन अब अहंकार और रणनीतिक मतभेदों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। पहली फेज की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है, और नामांकन की समयसीमा नजदीक आते ही हड़बड़ी मच गई है। आरजेडी ने सोमवार को 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जबकि कांग्रेस ने 61 नामों का ऐलान किया। कुल 243 सीटों वाले बिहार में महागठबंधन में विकसशील इंसान पार्टी, वाम दल और इंडियन इनक्लूसिव पार्टी भी शामिल हैं। हालांकि, तीन सीटों बछवाड़ा, राजापाकर और बिहारशरीफ पर नामांकन वापसी का समय समाप्त हो चुका है, जिससे वहां बहुकोणीय मुकाबला तय है। लालगंज (वैशाली जिला) से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है, जबकि कटिहार के प्रणपुर और एक अन्य सीट पर एकल उम्मीदवार पर सहमति बनी है।

बछवाड़ा सीट पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार (विधायक रामदेव राय के पुत्र) को उतार दिया था, जबकि सीपीआई अवधेश कुमार राय पर दावा ठोक रही थी। एक नेता ने इसे 'कांग्रेस का अहंकार' बताया।

विवाद की जड़ में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का आधिकारिक चेहरा बनाने का मुद्दा है। आरजेडी अधिकतम सीटों पर लड़ रही है, इसलिए तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करने की मांग पर अड़ी हुई है। एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने कहा, "सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी लड़ रही है। अगर हम जीतते हैं, तो आरजेडी विधायक ही सीएम चुनेंगे। फिर समस्या कहां है?" बिहार कांग्रेस के नेता गैर-यादव वोटों के एकजुट होने का हवाला देकर इसका विरोध कर रहे हैं। तेजस्वी ने वोटर अधिकार रैली में अपनी दावेदारी स्पष्ट की थी, लेकिन राहुल गांधी ने स्पष्ट समर्थन नहीं दिया।
एक अन्य बड़ा विवाद बिहार जाति सर्वेक्षण को लेकर है। तेजस्वी 2022 के सर्वेक्षण (जिसकी शुरुआत आरजेडी-जेडीयू सरकार में हुई थी) का श्रेय ले रहे हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान, खासकर राहुल गांधी, इसे 'लोगों को बेवकूफ बनाने का तरीका' बता चुके हैं। गांधी ने कहा था, "महागठबंधन की सरकार जाति सर्वेक्षण कराएगी, लेकिन बिहार जैसा नहीं, जो लोगों को ठगने का मामला था।" 
अन्य छोटे-मोटे विवादों ने भी आग में घी डाला है। बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को तेजस्वी से एक घंटे इंतजार कराना पड़ा, तो तेजस्वी ने जवाब में अल्लावरु को दो घंटे से ज्यादा रुकवाया। एक नेता ने कहा, "बातें इतनी छोटी हो गईं।" अल्लावरु की नियुक्ति (फरवरी 2025) पर भी सवाल उठे हैं। वह तेलुगु भाषी हैं और कथित तौर पर कंसल्टेंट्स पर निर्भर रहते हैं। बिहार कांग्रेस नेताओं ने कहा, "हमें भूपेश बघेल जैसा पूर्व सीएम चाहिए था, जो लालू प्रसाद से सीधे बात कर डील कर सके।" राजेश राम और शकील अहमद जैसे नेताओं पर टिकट बेचने के आरोप भी लगे हैं।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आलाकमान पर सवाल उठाते हुए कहा, "हाईकमान कहां है? सितंबर तक गांधी की यात्रा से अच्छा मौका था, अब सब फिसल गया।" उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "यूपी में अखिलेश यादव को सीएम फेस बनाएंगे, लेकिन बिहार में सिद्धांत की दुहाई क्यों?" दिल्ली के 'डिक्टेट्स' ने भी स्थानीय नेताओं को नाराज किया है।

गठबंधन नेताओं का मानना है कि गुरुवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस से संकट टलेगा। वेणुगोपाल की तेजस्वी से बात और गहलोत-अल्लावरु की यात्रा से उम्मीद बंधी है। एक नेता ने कहा, "हम समय रहते नाम वापस ले लेंगे, एकता बरकरार रहेगी।" बिहार चुनाव में नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ एकजुटता ही महागठबंधन की ताकत है, लेकिन ये विवाद जीत की राह में रोड़ा बन सकते हैं।

तेजस्वी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महत्वपूर्ण घोषणाएं 

तेजस्वी यादव ने बुधवार को जीविका सीएम (कम्युनिटी मोबिलाइज़र) योजना को लेकर एनडीए सरकार के रवैये पर तीखा हमला बोला। तेजस्वी ने वादा किया कि अगर उनकी पार्टी चुनावों में सत्ता में आती है, तो वह स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सरकारी नौकरी और 30,000 रुपये मासिक वेतन देगी। पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा, "आप सभी जानते हैं कि इस सरकार में जीविका दीदियों के साथ अन्याय हुआ है। हमने फैसला किया है कि सभी जीविका सीएम दीदियों को स्थायी किया जाएगा और उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा। उनका वेतन भी बढ़ाकर 30,000 रुपये प्रति माह किया जाएगा। यह कोई साधारण घोषणा नहीं है। यह जीविका दीदियों की लंबे समय से चली आ रही मांग रही है।"
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि जीविका दीदियों के मौजूदा कर्जों पर ब्याज माफ कर दिया जाएगा तथा अगले दो वर्षों तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। तेजस्वी यादव ने कहा, "प्रत्येक जीविका दीदी को 2,000 रुपये प्रति माह का अतिरिक्त भत्ता और 5 लाख रुपये का बीमा कवरेज मिलेगा।"

संविदा कर्मचारियों को स्थायी किया जाएगा 

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अपने दूसरे बड़े चुनावी वादे में आश्वासन दिया कि अगर राजद सत्ता में आई तो राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को स्थायी सरकारी नौकरी दी जाएगी। यादव ने कहा, "दूसरी बड़ी घोषणा संविदा कर्मचारियों से संबंधित है। राज्य के सभी संविदा कर्मचारियों को बिहार सरकार का स्थायी कर्मचारी बनाया जाएगा। हम उन्हें स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिलाने के लिए काम करेंगे।"
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अपनी पिछली चुनावी गारंटी को दोहराते हुए, तेजस्वी यादव ने बिहार में सरकार बनने के 20 महीने के भीतर हर घर से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा किया। उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारी सरकार आने के बाद हर घर में एक व्यक्ति सरकारी नौकरी वाला हो। सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर हम इसके लिए एक नया अधिनियम बनाएंगे और 20 महीनों में एक भी घर बिना सरकारी नौकरी के नहीं रहेगा।"