तो क्या दिल्ली में आम आदमी पार्टी ख़त्म हो जायेगी? क्या केजरीवाल का सितारा गर्दिश में है? क्या वह एक बार के मुख्यमंत्री बन कर ही रह जायेंगे? क्या आम आदमी पार्टी का बोरिया-बिस्तर समेटने का वक़्त आ गया है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तेज़ी से देश की राजधानी में उठ रहे हैं? कुछ लोग तो क़समें खा रहे हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ सीटों के मामले में दहाई का भी आँकड़ा नहीं छू पायेगी। कुछ यह भी कह रहे हैं कि अगर आज चुनाव हो जाये तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन जायेगी। सबका एक ही तर्क है कि राजधानी में कांग्रेस से गठबंधन न कर केजरीवाल ने ऐतिहासिक भूल की है। निश्चित तौर पर यह एक बड़ी भूल थी। लेकिन जो यह उम्मीद लगाये बैठे हैं कि ‘आप’ दिल्ली में ख़त्म हो जायेगी, उन्हें भारी निराशा का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।