बिहार एसआईआर के खिलाफ नेता विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। संसद में इस मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दी गई। वहां जमकर हंगामा हुआ।
बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर विपक्ष ने मंगलवार 22 जुलाई को तीखा विरोध जताया। AAP सांसद संजय सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य सांसदों ने नियम 267 के तहत नोटिस देकर इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की। लेकिन लोकसभा में स्पीकर ओम बिड़ला और राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने इसकी अनुमति नहीं दी। इस पर काफी हंगामा हुआ। सदन को स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष का आरोप है कि SIR के जरिए हाशिए पर रहने वाले समुदायों के मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाया जा सकता है, जो लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरा है। लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीकम टैगोर और गौरव गोगोई ने भी स्थगन प्रस्ताव देकर इस मुद्दे को उठाया।
संसद की कार्यवाही में जाने से पहले तमाम विपक्षी दलों के सांसदों ने मकर द्वार पर एसआईआर के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया। इसका नेतृत्व नेता विपक्ष राहुल गांधी ने किया। इस प्रदर्शन में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डीएमके सांसद कनिमोझी समेत तमाम विपक्षी सांसद शामिल थे। सांसदों ने कहा कि बिहार एसआईआर न सिर्फ संविधान विरोधी बल्कि देश के लोकतंत्र के खिलाफ है। विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह अप्रत्यक्ष एनआरसी बिहार के बाद पूरे देश में लागू की जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मंगलवार की सदन की कार्यवाही पर कहा- आज (22 जुलाई) संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी क्योंकि मोदी सरकार ने बिहार और अन्य राज्यों में चुनाव आयोग द्वारा की जा रही वोटबंदी पर चर्चा से इनकार कर दिया। इसके अलावा, मोदी सरकार ने अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि पहलगाम-सिंदूर पर लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा कब शुरू होगी और क्या प्रधानमंत्री जवाब देंगे।
सरकार एसआईआर पर चर्चा नहीं चाहतीः गौरव गोगोई
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने संसद के बाहर मंगलवार को कहा कि मोदी सरकार के मंत्रियों समेत पूरा सत्ता पक्ष सदन को गुमराह कर रहा है। वे बिहार में SIR मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहते हैं। सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि SIR पर चर्चा होगी या नहीं। इतना ही नहीं, पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर किसी भी चर्चा के बारे में सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। गौरव ने कहा कि हम बार-बार पहलगाम, ऑपरेशन सिंदूर और SIR पर चर्चा की तारीख की मांग कर रहे हैं। सरकार तय करे कि इन विषयों पर चर्चा कब होगी। सरकार BAC मीटिंग में अलग बात करती है और सदन में कुछ और कहती है। अगर सदन में विपक्ष के नेताओं को बोलने दिया जाता तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता। सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के नेता बोल पाएं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर ऐसा हुआ तो उनका झूठ बेनकाब हो जाएगा।
बिहार एसआईआर पर सुरजेवाला का बयान
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने संसद के बाहर मीडिया से कहा कि बिहार का SIR अब वोट चोरी की कवायद बन गया है। SIR के ज़रिए चुनाव आयोग और BJP गठबंधन मिलकर आम जनता और मतदाताओं के वोट चुराने की कोशिश कर रहे हैं। इससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि मोदी सरकार संसद की प्रणाली को भी ख़त्म करने की साजिश रच रही है। यह सरकार पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर और SIR पर चर्चा नहीं करना चाह रही है।
यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है कि उपराष्ट्रपति का इस्तीफा, पहलगाम आतंकी हमला, ट्रंप सीजफायर पर चर्चा की मांग के साथ विपक्ष बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण SIR के मुद्दे पर भी मजबूती से जमा हुआ है।
बिहार एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में आधार, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने की सलाह दी थी। लेकिन भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने 21 जुलाई को अपने हलफनामे में कहा कि इन पर आयोग विचार नहीं कर रहा है और न ही इन्हें 11 आवश्यक दस्तावेजों की सूची में शामिल किया जाएगा।
बिहार से राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने नियम 267 के तहत राज्यसभा में कार्य स्थगन नोटिस दिया था। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया से पैदा चिंताओं पर चर्चा करने की मांग की है। सांसदों की चिन्ता इस बात को लेकर ज्यादा है कि बिहार के बाद पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश में इसी तरह की प्रक्रिया आयोजित करने की योजना है। इस तरह की प्रक्रिया गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के एक बड़े वर्ग के मताधिकार से वंचित होने की गंभीर आशंकाएँ पैदा कर रही हैं।