Chief Justice Shoe Attack: भाजपा नेता भास्कर राव ने चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील के 'साहस' की तारीफ की है। यह शख्स बीजेपी कर्नाटक से है। हालांकि पूरे देश में इस घटना की निन्दा हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाला राकेश किशोर (बाएं)
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा चीफ जस्टिस बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस घटना पर बीजेपी के कर्नाटक नेता और पूर्व बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर भास्कर राव का बयान सुर्खियों में है। उन्होंने वकील की 'हिम्मत' की तारीफ की है। आरोपी निलंबित वकील किशोर ने अपने कृत्य पर पछतावा जताने से इनकार कर दिया है।
कर्नाटक बीजेपी नेता भास्कर राव ने आरोपी वकील राकेश किशोर की तारीफ करते हुए कहा, "भले ही यह कानूनी तौर पर बेहद गलत हो, लेकिन मैं आपकी हिम्मत की सराहना करता हूं। आपके इस उम्र में साहस दिखाकर खड़े होने और इसके नतीजों की परवाह न करने का रवैया, वाह!" राव के इस बयान ने विपक्ष को भड़का दिया। कांग्रेस नेता मंसूर खान ने तीखा प्रहार करते हुए कहा, "भले ही यह कानूनी तौर पर बेहद गलत हो, आप उनकी हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं? एक पूर्व आईपीएस अधिकारी का ऐसा शर्मनाक बयान। आपने कभी कानून का सम्मान किया था, अब चीफ जस्टिस का अपमान करने वाले के साथ खड़े हैं। क्या गिरावट है!"
इस घटना की व्यापक निंदा हो रही है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने वकील के रवैए की कड़ी निन्दा करते हुए एक संकल्प पारित किया। सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथियों की तरफ से चीफ जस्टिस के बयान पर पहले ही विवाद हो चुका था, जिसके जवाब में उन्होंने सभी धर्मों के प्रति सम्मान जताया। लेकिन इसके बावजूद दक्षिणपंथी माने नहीं। उन्होंने लगातार चीफ जस्टिस के बारे में उल्टी सीधी बातें लिखीं।
राकेश किशोर का बयान
निलंबन के बाद वकील किशोर का मीडिया इंटरव्यू कर रहा है और सारे न्यूज चैनल उसका महिमामंडन कर रहे हैं। उसका कहना है, कि "कोई पछतावा नहीं, कोई दुख नहीं, कोई पश्चाताप नहीं।" उसने अपने कृत्य को जायज ठहराते हुए कहा, "मैंने यह नहीं किया; भगवान ने किया। चीफ जस्टिस ने सनातन धर्म का मजाक उड़ाया। यह ईश्वर का आदेश था, एक क्रिया की प्रतिक्रिया थी।"
पिछले महीने, चीफ जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण और फिर से स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो परिसर का एक हिस्सा है। चीफ जस्टिस ने कहा था, "यह पूरी तरह से प्रचार पाने के लिए याचिका डाली गई है... जाकर भगवान से ही कुछ करने को कहिए। अगर आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं, तो आप प्रार्थना और ध्यान भी करें।" उनकी इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। उस पर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट कहा था कि वह "सभी धर्मों" का सम्मान करते हैं।
यह मामला सोशल मीडिया पर उछलता रहा। इसी दौरान पिछले हफ्ते अदालती कार्यवाही के दौरान बुज़ुर्ग वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंका। जूता बेंच तक नहीं पहुँचा और अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया और बाहर ले जाकर पुलिस को सौंप दिया। अभी यह साफ नहीं है कि राकेश किशोर किस पार्टी या संगठन से जुड़ा है। लेकिन उसके कृत्य से पता चलता है कि वो एक कट्टरपंथी शख्स है।
सीजेआई गवई की मां ने घटना की निन्दा की
सीजेआई गवई की मां कमलताई गवई ने सुप्रीम कोर्ट में हुई जूता फेंकने की घटना की कड़ी निंदा की। 84 वर्षीय कमलताई ने इसे "संविधान पर हमला" करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अराजकता फैलाने का प्रयास हैं। उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से संवैधानिक माध्यमों का सहारा लेने की अपील की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। बता दें कि हाल ही में आरएसएस ने कमलाताई गवई को अपने कार्यक्रम में आने का न्यौता दिया था लेकिन वो वहां नहीं गईं। इसको लेकर भी मीडिया ने तमाम खबरें चलाईं थी कि वो आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होंगी, लेकिन कमलाताई ने कभी वहां जाने की पुष्टि नहीं की। वो खबर पूरी तरह फेक न्यूज थी।
कमलताई ने कहा, "ऐसे कृत्य अराजकता फैलाने के समान हैं। हर नागरिक को असहमति व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन कानून अपने हाथ में लेने का कोई हक नहीं। हमें लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा की रक्षा करनी होगी।" उन्होंने इसे न केवल व्यक्तिगत हमला बल्कि "विषैली विचारधारा" का हिस्सा बताया, जो देश को कलंकित करती है।
डॉ. बी.आर. आंबेडकर के संविधान पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा, "बाबासाहब ने हमें 'जीयो और जीने दो' के सिद्धांत पर आधारित समावेशी संविधान दिया। कोई भी अशांति फैलाने का अधिकार नहीं रखता। मैं लोगों से मुद्दों को शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से हल करने की अपील करती हूं।" कमलताई ने जोर देकर कहा कि संविधान के खिलाफ काम करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। यह उनका इस घटना पर पहला सार्वजनिक बयान था।
वकीलों का विरोध प्रदर्शन
घटना के विरोध में चीफ जस्टिस के गृह क्षेत्र अमरावती में जिला वकील संघ ने मंगलवार को जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। भारी संख्या में वकीलों ने भाग लिया, जिनमें संघ के अध्यक्ष एडवोकेट सुनील देशमुख, सचिव एडवोकेट अमोल मुラル और वरिष्ठ वकील एडवोकेट प्रशांत देशपांडे शामिल थे। उन्होंने इसे "न्यायपालिका और कानून के शासन पर अपमान" बताया और आरोपी राकेश किशोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
पूर्व आईएएस अधिकारी का बयान
संविधान फाउंडेशन के प्रतिनिधि और पूर्व आईएएस अधिकारी ई.जेड. खोब्रागड़े ने इसे "योजनाबद्ध साजिश" करार दिया। उन्होंने कहा कि यह जातिगत सीमाओं से परे न्यायपालिका पर हमला है। खोब्रागड़े ने मांग की कि सरकार तुरंत कार्रवाई करे, वरना ऐसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। उन्होंने संकेत दिया कि यह घटना कमलताई के हाल ही में अमरावती में आरएसएस के शताब्दी समारोह में भाग न लेने के फैसले से जुड़ी हो सकती है, जिसे कुछ लोगों ने अपमान माना। हालांकि, यह संबंध अभी सिद्ध नहीं हुआ है और विवाद बना हुआ है।