हरियाणा के गुड़गांव (गुरुग्राम) में पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ चल रहे हिरासत अभियान को फिलहाल रोक दिया है। इस अभियान के कारण गुड़गांव समेत हरियाणा के कई शहरों में बड़े पैमाने पर बंगाली बोलने वाले प्रवासियों का पलायन शुरू हो गया था, जिससे घरेलू कामकाज करने वालों का दिल्ली एनसीआर में भारी संकट पैदा हो गया था।
पुलिस ने कथित संदिग्ध अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को पकड़ने के लिए चार हिरासत केंद्र (detention center) स्थापित किए थे, जहां संदिग्ध व्यक्तियों को उनके मूल राज्य से सत्यापन होने तक रखा जाता था। हालांकि, आज इन केंद्रों में कोई भी हिरासत में नहीं लिया गया। पुलिस ने स्पष्ट किया कि सत्यापन प्रक्रिया अभी भी जारी है।
ममता ने कहा-भाषाई आतंक
इस अभियान को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कई सांसदों ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इसे "भाषाई आतंक" करार देते हुए हरियाणा की भाजपा सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध और पुलिस द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया। ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, "हरियाणा में गुरुग्राम और अन्य जिलों से बंगाली भाषी लोगों की हिरासत और अत्याचार की खबरें बढ़ती जा रही हैं।"
दूसरी ओर, गुरुग्राम पुलिस ने किसी भी तरह के उत्पीड़न से इनकार किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बंगाल और असम से प्रसारित वीडियो के कारण दहशत फैल रही है, जो या तो पुराने हैं या फर्जी हैं। उन्होंने कहा, "हम केवल उन लोगों की पहचान सत्यापित कर रहे हैं जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। हमने किसी को प्रताड़ित नहीं किया।" हालांकि पुलिस का यह दावा सही नहीं है। गुरुग्राम के फोटो और वीडियो भी सामने आए थे।
गुरुग्राम के साउथ सिटी-2 के निवासी कबीर ने पुलिस पर अवैध हिरासत और मारपीट का आरोप लगाया है। कबीर ने अपनी पीठ पर चोट के निशान दिखाते हुए दावा किया कि वह भारत में जन्मा है और पिछले 17 सालों से गुरुग्राम में रह रहा है। पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि इस शिकायत की जांच की जा रही है।
बड़े पैमाने पर पलायन
पुलिस के इस अभियान के कारण गुरुग्राम में प्रवासी मजदूरों, खासकर बंगाली पुरुषों और महिलाओं, का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है। ये प्रवासी शहर में सफाई सेवाओं, कूड़ा उठाने, घरेलू कामों जैसे नौकरानी, नैनी और कुक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब उनकी कमी के कारण गैर-बंगाली हिंदी भाषी नौकरानियों ने अपनी मजदूरी तीन गुना बढ़ा दी है।
पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने कहा कि रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों (आरडब्ल्यूए) ने श्रमिकों की कमी की शिकायत की है, जिसके बाद अभियान को धीमा कर दिया गया है। पुलिस ने आरडब्ल्यूए से अपील की है कि वे संदिग्ध प्रवासियों की सूचना दें और उनका पुलिस सत्यापन सुनिश्चित करें।
नाज़ी जर्मनी की याद
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस अभियान को "नाज़ी जर्मनी" जैसा बताया और गुरुग्राम के निवासियों से अपने श्रमिकों के लिए खड़े होने की अपील की। उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस के डिटेंशन सेंटर नाज़ी जर्मनी की याद दिलाते हैं। एक सभ्य समाज में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। गुड़गांव की ट्रेड यूनियनों को चाहिए कि वो प्रवासी मजदूरों के लिए खड़ी हों।