रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने नागरिक पंजीकरण प्रणाली यानी सीआरएस के आँकड़े जारी कर कहा है कि 2020 में देश में 81.16 लाख मौतें दर्ज की गईं। यह पिछले वर्ष 2019 की संख्या से लगभग छह प्रतिशत अधिक है। आम तौर पर हाल के वर्षों में साल दर साल मौत के रजिस्ट्रेशन में इतनी बढ़ोतरी होती ही रही है। सीआरएस के इन आँकड़ों में सभी तरह की मौतें शामिल हैं और इसमें अलग से कोरोना से मौत होना नहीं बताया गया है। यह सिर्फ़ मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वालों की संख्या है। यहाँ तक तो शायद विवाद की कोई गुंजाइश नहीं थी। लेकिन बहस का विषय तब बन गया जब नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने इन आँकड़ों को कोरोना मौत के आँकड़ों से जोड़ दिया। उन्होंने कह दिया कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली के आँकड़े संकेत देते हैं कि 2020 में कोरोना मौत के मामले शायद वास्तविक मौत की संख्या से काफ़ी अलग नहीं थे। तो क्या सच में ऐसा है?
मृत्यु पंजीकरण: कोरोना से मौत की वास्तविक संख्या पता चलेगी या नहीं?
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- 4 May, 2022
कोरोना महामारी से मारे गए लोगों की वास्तविक संख्या कभी पता चल भी पाएगी या नहीं? क्या इस पर हमेशा विवाद ही होता रहेगा? जानिए, रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय के आँकड़े आने पर फिर से विवाद क्यों है?