भारत सरकार किसानों की भलाई के नाम पर जो तीन नए क़ानून ले कर आई है, उनसे किसानों को फ़ायदा होगा या नुक़सान, यह बहस बहुत जोर-शोर से चल रही है। किसान सड़क पर हैं। सरकार उन्हें समझाने के लिए तरह तरह के उपाय करने में जुटी है और अब तो मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँच चुका है।

साल 2012-13 का आर्थिक सर्वेक्षण रघुराम राजन ने तैयार किया था , जो बाद में रिजर्व बैंक के गवर्नर बने। उसमें कहा गया था कि ऐसी व्यवस्था तैयार करना ज़रूरी है जो खेती को थोक प्रसंस्करण, ढुलाई और रिटेलिंग यानी खुदरा बिक्री से जोड़ दे, ताकि बेहतर उपज, बेहतर कीमत वगैरा हासिल किए जा सकें। इन कड़ियों को जोड़ने या तैयार करने के काम में निजी क्षेत्र को शामिल करना चाहिए।