135 करोड़ की आबादी वाले मुल्क़ की राजधानी दिल्ली में देश की संसद, सर्वोच्च न्यायपालिका, देश के सारे सांसदों के आवास, अहम सरकारी महक़मों के दफ़्तरों के अलावा और भी काफ़ी कुछ है। यहां हर आदमी अपनी फरियाद लेकर आता रहा है और कभी किसी सरकार ने ऐसा सख़्त रूख़ नहीं दिखाया कि उसे न आने दिया जाए।
ज़ुल्म ढाने के बजाए किसानों से बात करे सरकार
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- 5 Mar, 2021
अन्न उपजाने वाले किसानों पर बेरहमी से आंसू गैस के गोले छोड़ना, इतनी ठंड में उन पर पानी की बौछार करना, लाठीचार्ज करना; इसका यही मतलब है कि हुक़ूमत किसानों के लिए नरम दिल नहीं है या उसे उनका आवाज़ उठाना नागवार गुजरा है।
लेकिन केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली कूच कर रहे देश के अन्नदाताओं पर ज़ुल्म ढाया जा रहा है। हरियाणा की बीजेपी शासित खट्टर सरकार किसी क़ीमत पर किसानों को पंजाब से अपने राज्य की सीमा में नहीं घुसने देना चाहती। उसने सरकार की पूरी ताक़त का इस्तेमाल सिर्फ़ इसके लिए किया है कि किसान किसी भी क़ीमत पर उसके राज्य से होते हुए दिल्ली न पहुंच पाएं।