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किसानों ने किया जोरदार प्रदर्शन, राज्यपालों को सौंपा ज्ञापन 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसान शनिवार को देश भर में राज्यपालों के आवास पर पहुंचे और उन्हें ज्ञापन सौंपा। आज किसान आंदोलन के सात महीने पूरे हो चुके हैं। इस मौक़े पर कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, बेंगलुरू सहित कई जगहों पर किसान संगठन सड़क पर उतरे। हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पहुंचे। 

किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसानों के संघर्ष के 7 महीने पूरे होने और आपातकाल के 46 वर्ष पूरे होने पर 26 जून को देशभर में "कृषि बचाओ लोकतंत्र बचाओ दिवस" मनाया जा रहा है। मोर्चा ने कहा है कि पिछले सात महीने में हमने जो कुछ देखा है वो हमें आपातकाल की याद दिलाता है। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए डीएमआरसी ने यलो लाइन रूट के तीन स्टेशन विश्वविद्यालय, सिविल लाइंस और विधानसभा को सुबह 10 बजे से दिन में 2 बजे तक एहतियातन बंद कर दिया गया था। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और सिसौली से किसान ट्रैक्टर्स के साथ ग़ाज़ीपुर पहुंचे। पंजाब और हरियाणा से भी किसानों और जनवादी संगठनों से जुड़े लोगों का सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर पहुंचने का सिलसिला जारी है। 

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मोर्चे की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक ख़त भी भेजा गया है जिसमें तीनों कृषि क़ानूनों को किसान विरोधी बताते हुए इन्हें वापस लेने की मांग की गई है। इसके अलावा सरकार एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानूनी भी बनाए। राष्ट्रपति से मांग की गई है कि वे केंद्र सरकार को निर्देश दें कि वे किसानों की मांग को तुरंत स्वीकार करें। 

‘काला दिन’ मनाया था 

किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने 26 मई को ‘काला दिन’ मनाया था और दिल्ली के बॉर्डर्स सहित पंजाब-हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश व कई अन्य राज्यों में सड़क पर उतरे थे। किसान आंदोलन के समर्थकों ने अपने घरों, दुकानों, वाहनों पर काले झंडे लगाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ सख़्त नाराज़गी जताई थी। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने मोदी सरकार का पुतला भी जलाया था। 

Farmers protests will gherao raj bhavans  - Satya Hindi

विपक्षी दलों का मिला समर्थन 

किसानों के लगातार बढ़ते जा रहे आंदोलन से निपट पाने में परेशान मोदी सरकार को विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है। किसानों के ‘काला दिन’ के आह्वान को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (टीएमसी), महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (शिवसेना), तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (डीएमके), झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (जेएमएम), जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (एनसी), उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (एसपी), आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, सीपीआई के डी. राजा और सीपीआई-एम ने समर्थन दिया था। 

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पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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