देशव्यापी विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) की तैयारी शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने 10 सितंबर को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) की बैठक बुलाई है। इसमें एसआईआर की तैयारियों को लेकर समीक्षा की जाएगी और हर राज्य से यह जानकारी ली जाएगी कि एसआईआर को लेकर उसकी कितनी तैयारी है। ऑल इंडिया एसआईआर को लेकर यह एक तरह से पहला कदम है। हालांकि चुनाव आयोग ने इसे कराने की प्रतिबद्धता पहले ही जता दी थी। 
जानकारी के अनुसार, 1 जनवरी, 2026 की कटऑफ तिथि के साथ देशभर में एसआईआर शुरू होने की संभावना है। 24 जून को एक आदेश में, आयोग ने देश के लिए एसआईआर आयोजित करने का निर्णय लिया था। लेकिन शुरू में इसे सिर्फ बिहार के लिए लागू किया गया था, क्योंकि वहां विधानसभा चुनाव होने हैं। शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए तब यह कहा गया था कि आदेश उचित समय पर जारी किए जाएंगे।
आयोग के सूत्रों के मुताबिक सभी सीईओ से 10 सितंबर को अपने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं की संख्या, अंतिम गहन संशोधन का विवरण आदि के बारे में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देने के लिए कहा गया है। देशभर में एसआईआर कब शुरू होगा, अभी उसकी तारीख के बारे में आयोग की ओर से कोई संकेत नहीं है। लेकिन आयोग उससे पहले अपनी जमीनी हकीकत की जानकारी जुटा रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी शायद द्वारका स्थित आयोग के भारत अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और निर्वाचन प्रबंधन संस्थान (आईआईआईडीईएम) में सीईओ के साथ बैठक करेंगे।

24 जून के अपने आदेश में, ईसी ने कहा था कि मतदाता सूची का गहन संशोधन अंतिम बार 2003 में किया गया था। लेकिन उसके बाद शहरीकरण और माइग्रेशन के कारण, मतदाता सूची में दोहरी एंट्री की संभावना है। आदेश में कहा गया है, “इसलिए, यह स्थिति हर व्यक्ति के नामांकन से पहले गहन सत्यापन अभियान की मांग करती है।”
मतदाता सूची को हर साल और हर चुनाव से पहले संक्षेप में संशोधित किया जाता है, जिसमें मौजूदा सूची में नाम जोड़े जाते हैं या हटाए  जाते हैं। इस बार, ईसी सूची को नए सिरे से तैयार कर रहा है। बिहार के मामले में, इसने एक नया फॉर्म और घोषणा जारी की, जिसमें 11 दस्तावेजों की सूची थी। सभी मौजूदा मतदाताओं को फॉर्म जमा करना था और 2003 के बाद जोड़े गए लोगों को अपनी पात्रता साबित करने के लिए इन 11 दस्तावेज में से ही दस्तावेज भी जमा करने थे।
बिहार एसआईआर आदेश को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है, जहां फैसला अभी लंबित है। चुनाव आयोग के नागरिकता जांच करने के अधिकार को चुनौती देने के अलावा, याचिकाकर्ताओं ने ईसी की 11 दस्तावेजों की सूची के तर्क पर भी सवाल उठाया है। क्यों इन दस्तावेजों में आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले आधार, राशन कार्ड और चुनाव आयोग का वोटर आईडी या एपिक नंबर तक शामिल नहीं है। 
बिहार में फिलहाल दावों और आपत्तियों की तारीख खत्म होने के साथ, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी अब दावों और आपत्तियों का निपटारा कर रहे हैं। बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली है।