loader

जलियाँवाला बाग के लिये अंग्रेज़ों ने अब तक माफ़ी क्यों नहीं माँगी?  

जलियाँवाला बाग एक बार फिर सुर्खियों में है। केंद्र सरकार ने अमृतसर स्थित जलियाँवाला बाग का जीर्णोद्धार किया है। इसके तहत जिस रास्ते जनरल डायर और इसके आदमी गुजरे थे और हजारों लोगों पर गोलियाँ चलाई थीं, उसी पर हाई टेक दीर्घा बना दिया गया है। लोगों का आरोप है कि सरकार ने जीर्णोद्धार के नाम पर इतिहास को नष्ट करने का काम किया है। इसके साथ ही एक बार फिर पुराना सवाल उठता है कि अंग्रेजों ने इस पर माफ़ी क्यों नहीं माँगी है। 

मानव इतिहास में क्रूर शासकों की सूची में सबसे बदनाम व खूंखार शासकों में मंगोल शासक चंगेज ख़ान, रूस का ज़ार, जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर, इटली का निरंकुश शासक बेनिटो मुसोलिनी आदि हैं।

लेकिन क्रूरता के मामले में तथाकथित लोकतांत्रिक होने का मिथ्यादंभ भरने वाले अमेरिकी, ब्रिटिश व फ्रांसीसी साम्राज्यवादी किसी भी तरह कमतर नहीं हैं। दुनिया भर में अमेरिकी साम्राज्यवादी अब तक करोड़ों लोगों की निर्मम हत्या कर चुके हैं ।

वैसे ही फ्रांसीसियों ने अफ्रीकी महाद्वीप में वहाँ के काले लोगों के सिर को काटकर, उसे नुकीले बाँस पर लगाकर अपने उपनिवेशों में दहशत फैलाने के लिए जुलूस निकालने का पाशविक कुकृत्य करते हुए जरा भी शर्म नहीं किया था।

इतिहासकारों के अनुसार, ब्रिटिश साम्राज्यवादी भी भारत में अपने लगभग 150 साल के शासनकाल में लगभग तीन करोड़ भारतीयों की विभिन्न तरीकों से नृशंस हत्या करने के गुनाहगार हैं। 

ख़ास ख़बरें

जलियाँवाला बाग

भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवादियों द्वारा भारतीय आम नागरिकों की की गई सामूहिक हत्याओं में अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर से लगभग सौ कदम दूर स्थित एक बाग, जिसे जलियाँवाला बाग कहते हैं, में 13 अप्रैल 1919 को की गई सामूहिक हत्या भारतीय इतिहास में तैमूरलंग, अब्दाली व नादिर शाह आदि  लुटेरों और आक्रांताओं द्वारा की गई कत्लेआमों के समान ही है। 

इस लोमहर्षक घटना के बाद पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लोगों में इस ऐतिहासिक जलियाँवाला बाग के शहीदों के लहू से सिंचित मिट्टी को चंदन की तरह अपने माथे पर लगाकर ब्रिटिश-साम्राज्यवाद के ताबूत में आखिरी कील ठोकने और देश को ग़लामी की बेड़ियों को तोड़ देने की मानों एक होड़ सी लग गई। 

उन निरपराध लोगों पर लगातार 10 मिनट तक फ़ायरिंग होती रही, 1650 राउंड गोलियाँ चलीं। अचानक हुई इस भयंकर गोलीबारी से घबराई औरतें इसी बाग में स्थित एक कुँए में अपने बच्चों सहित कूद गईं। कुछ ही पल में वह कुँआ पूरा भर गया।

2000 ज़ख़्मी

जो बाहर रह गये, वे गोलियों से छलनी होकर वहीं  गिर पड़े। बहुत से लोग भगदड़ में कुचलकर मर गये। बाद में उस कुँए से मरी हुई औरतों और उनके दुधमुंहे बच्चों सहित 120 लाशें निकालीं गईं।

विभिन्न ऐतिहासिक साक्ष्यों और सबूतों के अनुसार इस जघन्यतम सामूहिक हत्याकांड में  400 से अधिक लोगों  की जानें गई।  2000 के लगभग लोग बुरी तरह घायल हुए । 

अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची उपलब्ध है, वहीं ब्रिटिशकालीन अभिलेखों में शहीदों की संख्या केवल 379 और घायलों की संख्या केवल 200 ही दर्ज है।

इन शहीदों में 337 वयस्क पुरुष और औरतें, 41 नाबालिग बच्चे और एक दुधमुँहे बच्चे का नाम दर्ज है। भारतीय इतिहासकारों के अनुसार, अंग्रेजों ने जानबूझकर शहीदों और घायलों की संख्या कम दर्ज की थी। 

             

jallianwala bagh renovation jallianwala bagh massacre rowlett act - Satya Hindi

कौन थे डायर?

             

जालियाँवाला बाग की इस अत्यंत दुःखद घटना में डायर नामक दो अंग्रेज अफसर संलिप्त थे। एक जो उस समय पंजाब प्रान्त का लेफ्टिनेंट गवर्नर था। उसका नाम माईकल ओ डायर था।

माईकल ओ डायर उस समय पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था और उसने हत्याकांड में निर्दोष लोगों पर अकारण फ़ायरिंग का पुरजोर समर्थन किया था। उधम सिंह ने इस घटना के लगभग 21 साल बाद , 13 मार्च 1940 को लंदन में जाकर, एक सभा को सम्बोधित करते वक्त इसी माईकल ओ डायर को गोली मार कर जालियाँवाला बाग का बदला लेने की कोशिश की थी। 

अंग्रेज़ों ने  मुक़दमा चलाकर भारत के इस वीर सपूत को  31 जुलाई 1940 को पेंटन विला नामक जेल में फाँसी पर चढाकर,उन्हें मृत्यु दंड दे दिया था। 

jallianwala bagh renovation jallianwala bagh massacre rowlett act - Satya Hindi

रेजीनॉल्ड डायर

 दूसरा डायर वह था जो सशस्त्र सैनिकों को लेकर जालिंयावाला बाग सभास्थल गया था और जिसने फ़ायरिंग का आदेश दिया था। उसका नाम कर्नल रेजीनॉल्ड डायर था। 

असली हत्यारा यही कर्नल रेजीनॉल्ड डायर ही था। दूसरा डायर तो इसका समर्थक था। सबसे बड़े दुःख और अफसोस की बात यह है कि ब्रिटिश सरकार ने इस कुकृत्य और ऐतिहासिक जघन्यतम् अपराध पर केवल अफसोस जाहिर किया है।

अंग्रेजों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में चीन,मंगोलिया और कोरिया आदि राष्ट्रों की औरतों के साथ किए गए कदाचार के लिए जिस तरह सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगी, वैसी माफ़ी भारत से नहीं माँगी है।

अंग्रेजों में अभी भी एक छद्म दंभ बरक़रार है, परन्तु हकीकत यही है कि ब्रिटिश साम्राज्यवादियों का अब सब कुछ नष्ट हो चुका है। 

कभी सूर्य अस्त न होनेवाला ब्रिटिश साम्राज्यवाद  उत्तर अटलांटिक महासागर के एक निस्तेज टापू भर में सिमटने को अभिशप्त हो गया है।

रस्सी जल गई, परन्तु ऐंठन अभी रह गई है, वही हाल दंभी अंग्रेजों का अभी भी बना हुआ है ! 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
निर्मल कुमार शर्मा
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें