ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर के तबादले को लेकर केंद्र सरकार चुप है जबकि उसने कॉलेजियम के द्वारा सुझाए गए एक अन्य जज के तबादले के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जस्टिस मुरलीधर के तबादले के लिए अभी तक केंद्र सरकार ने हरी झंडी क्यों नहीं दी है।
जस्टिस मुरलीधर के तबादले को हरी झंडी क्यों नहीं दे रहा केंद्र?
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- 12 Oct, 2022
केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की ओर से की गई सिफारिश में से एक नाम को मान लिया है लेकिन दूसरे नाम के लिए वह तैयार नहीं दिखती।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल के राजस्थान हाई कोर्ट में तबादले को हरी झंडी दे दी है। बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 28 सितंबर को जस्टिस मुरलीधर का तबादला मद्रास हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस के पद पर जबकि जस्टिस पंकज मित्तल का तबादला राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। यह साफ है कि केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की ओर से की गई सिफारिश में से एक नाम को मान लिया है लेकिन दूसरे नाम के लिए वह तैयार नहीं दिखती।
दिल्ली दंगों के दौरान की कड़ी आलोचना
जस्टिस मुरलीधर जब दिल्ली हाईकोर्ट में थे तो उन्होंने साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के लिए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की थी। जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली दंगों के दौरान बीजेपी के नेताओं अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, अभय वर्मा और कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों को लेकर पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था। इसके बाद जस्टिस मुरलीधर का तबादला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया था।