केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का एलान कर दिया है। साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को मसजिद बनाने के लिए पाँच एकड़ ज़मीन भी दे दी गई है। लेकिन यह ज़मीन अयोध्या कस्बे से क़रीब 22 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में दी गई है। केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं। सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या में मसजिद बनाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान नहीं कर रहे हैं?
अयोध्या: हिंदू पक्ष की ज़िद के कारण 22 किमी. दूर दी मसजिद के लिए ज़मीन?
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- 8 Feb, 2020

केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का एलान कर दिया है। साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को मसजिद बनाने के लिए पाँच एकड़ ज़मीन भी दे दी गई है।
सवाल उठने के पीछे कई वजहें हैं। अयोध्या के मंदिर-मसजिद विवाद पर हिंदू पक्ष शुरू से ही कहता रहा है कि वह राम मंदिर के पंचकोसी परिक्रमा के भीतर कोई मसजिद नहीं बनने देगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मसजिद निर्माण के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी। मुसलिम पक्षकार चाहते थे कि अयोध्या की अधिग्रहित 67.7 एकड़ ज़मीन में से ही मसजिद के लिए ज़मीन दी जाए। लेकिन यूपी सरकार ने मसजिद के लिए ज़मीन देने के लिए जो तीन विकल्प दिए थे वे तीनों ही बाबरी मसजिद की जगह से 20 किलोमीटर दूर थे। ऐसा लगता है कि मसजिद के लिए ज़मीन देते वक़्त यूपी सरकार ने हिंदू पक्ष की मंदिर की पंचकोसी परिक्रमा के भीतर मसजिद नहीं बनने देने की ज़िद को ध्यान में रखा।