अभी कल तक लग रहा था कि भारत-अमेरिका रिश्ते रसातल को पहुंच गए हैं। लेकिन शनिवार को यूएस राष्ट्रपति ट्रंप का पीएम मोदी को लेकर बयान आया तो इधर से पीएम मोदी ने भी जवाब दिया। मोदी का जवाब पॉजिटिव है। अचानक दोनों देशों के रिश्ते गुडी-गुडी नज़र आने लगे हैं। लेकिन ट्रंप का क्या भरोसा। मोदी ने शनिवार को ट्रंप के "हमेशा दोस्त रहेंगे" वाले बयान का जवाब देते हुए कहा कि वह उनकी भावनाओं और भारत-अमेरिका संबंधों के पॉजिटिव मूल्यांकन की "गहराई से सराहना करते हैं और पूरी तरह से समर्थन करते हैं।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के कारण दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा हुआ है।
मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उसी पोस्ट में यह भी कहा, "भारत और अमेरिका के बीच बहुत पॉजिटिव और भविष्य को लेकर व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।" यह पोस्ट ट्रंप के साथ उनके संबंधों को लेकर उनकी पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया है, जो भारत पर 50% टैरिफ लागू होने के बाद से चर्चा में है। हालांकि इससे पहले ये खबरें भारतीय मीडिया में लगातार चल रही थी कि मोदी यूएस राष्ट्रपति ट्रंप का फोन तक नहीं उठा रहे हैं। जबकि ट्रंप रोजाना बयान दे रहे थे कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवा दिया। जिसका भारत ने खंडन किया। लेकिन ट्रंप नहीं माने। उन्होंने कम से कम 42 बार युद्ध रुकवाने की बात दोहराई है।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, "मैं हमेशा मोदी के साथ दोस्त रहूँगा। वह एक महान प्रधानमंत्री हैं।" उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच "विशेष संबंध" की बात भी दोहराई, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह "इस समय जो हो रहा है, उसे पसंद नहीं करते।" ट्रंप ने यह भी उल्लेख किया कि दोनों देशों के बीच "कभी-कभी मतभेद" हो सकते हैं, लेकिन "चिंता की कोई बात नहीं है।"

भारत-अमेरिका संबंधों पर रंग बदलते ट्रंप

ट्रंप का यह पॉजिटिव बयान उस सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत और रूस के लिए गुस्सा ज़ाहिर किया था। ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका ने भारत और रूस को "सबसे गहरे, अंधेरे चीन" के हाथों खो दिया है। यह टिप्पणी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तियानजिन में हुए शिखर सम्मेलन के बाद आई थी, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गर्मजोशी ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। शंघाई में चीन, रूस और भारत के राष्ट्र प्रमुखों की मुलाकात को अमेरिका ने पसंद नहीं किया। उसी के बाद ट्रंप ने गुस्से में कई बयान दे डाले।
हालांकि भारत ने ट्रंप के इस बयान पर सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, जिसमें उन्होंने भारत के चीन के करीब जाने का सुझाव दिया था। इसके बजाय, विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध "बहुत महत्वपूर्ण" हैं और यह साझेदारी "साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मजबूत लोगों के बीच संबंधों" पर आधारित है।

नवारो और लुटनिक के भारत विरोधी बयान

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर 25% का अतिरिक्त शुल्क लगाया था, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया है। इसके अलावा, व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो तो लगातार भारत को नाराज़ करने वाले बयान दे रहे हैं। नवारो ने भारत पर "उच्चतम शुल्क" लगाने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने "गलत और भ्रामक" करार दिया।

इसी तरह वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने ब्लूमबर्ग को दिए गए इंटरव्यू में भारत की नीतियों की आलोचना की है। लुटनिक ने कहा- "मुझे तो लगता है कि एक या दो महीने में भारत माफी मांगेगा और बातचीत की मेज़ पर होगा। वे डोनाल्ड ट्रंप के साथ समझौता करने की कोशिश करेंगे।" लुटनिक ने कहा-"और यह डोनाल्ड ट्रंप के डेस्क पर होगा कि वो मोदी के साथ कैसे व्यवहार करना चाहते हैं, और हम यह उन पर छोड़ते हैं। इसीलिए वह राष्ट्रपति हैं।"

मोदी नहीं जाएंगे यूएन महासभा की बैठक में  

प्रधानमंत्री मोदी अब यूएन जनरल असेंबली की बैठक में नहीं जाएंगे। पीटीआई के मुताबिक यूएन में जारी वक्ताओं की संशोधित अंतिम सूची के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक उच्च स्तरीय सत्र में आम बहस को संबोधित नहीं करेंगे। मोदी की जगह अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर जाएंगे। जयशंकर 27 सितंबर को सत्र को संबोधित करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वाँ सत्र 9 सितंबर को शुरू होगा। उच्चस्तरीय आम बहस 23 से 29 सितंबर तक चलेगी, जिसमें ब्राज़ील पारंपरिक रूप से सत्र का पहला वक्ता होगा, उसके बाद अमेरिका होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 23 सितंबर को यूएनजीए मंच से विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे। यह व्हाइट हाउस में उनके दूसरे कार्यकाल में संयुक्त राष्ट्र सत्र को उनका पहला संबोधन होगा।
बहरहाल, मोदी और ट्रंप के बीच इस पॉजिटिव संवाद से यह संकेत मिलता है कि भारत-अमेरिका संबंधों को फिर से बेहतर करने का रास्ता अभी खुला है। दोनों देश रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच संबंधों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।