भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और 50% टैरिफ की मार के बीच अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक उम्मीद वाला संदेश दिया है। फॉक्स बिजनेस चैनल को दिए साक्षात्कार में बेसेंट ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आखिरकार भारत और अमेरिका साथ आएंगे। यह बयान तब आया है, जब अमेरिका ने भारत से आयातित सामानों पर 50% टैरिफ लागू किया है और इसमें रूस से तेल खरीद के लिए 25% पेनाल्टी भी शामिल है। रूस से तेल खरीद, व्यापार समझौते में देरी, और रुपये की गिरती कीमत जैसे मुद्दों ने इस रिश्ते को और उलझा दिया है। तो बेसेंट के इस ताज़ा बयान के मायने क्या हैं? क्या वह संदेश दे रहे हैं कि ट्रंप चीन की तरह ही भारत के ख़िलाफ़ टैरिफ़ कम करने का क़दम उठाएँगे? या फिर अब इसके लिए काफ़ी देर हो चुकी है? 

इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लीजिए कि आख़िर बेसेंट ने इंटरव्यू में क्या क्या कहा है। बेसेंट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंध को इस रिश्ते की नींव बताया, जो दोनों देशों को एकजुट करने में मदद करेगा। 
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मोदी-ट्रंप का व्यक्तिगत रिश्ता

बेसेंट ने बार-बार जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच उच्च स्तर पर बहुत अच्छा तालमेल है, जो दोनों देशों को एक साथ लाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, 'भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मुझे लगता है कि आखिरकार हम साथ आएंगे।' 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को 22 सितंबर 2019 को अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के दौरान 'सच्चा दोस्त' बुलाया था। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था, 'ट्रंप भारत के सच्चे दोस्त हैं।' इस दौरान उन्होंने 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा भी दिया था, जो उस समय काफी चर्चा में रहा। इस आयोजन में दोनों ने भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर जोर दिया था। इसके अलावा, हाल के वर्षों में दोनों नेताओं के बीच कई बार मुलाकात और बातचीत हुई है, जिसमें उन्होंने एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक भाव व्यक्त किए। इस साल जनवरी में ही ट्रंप ने पीएम मोदी को शानदार इंसान बताया था, जिससे दोनों के बीच व्यक्तिगत तालमेल का पता चलता है।

बेसेंट ने पहले क्या कहा था?

बहरहाल, बेसेंट भारत के प्रति काफ़ी आशावादी रहे हैं। इससे पहले अप्रैल 2025 में बेसेंट ने कहा था कि भारत उन पहले देशों में से होगा, जो अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता करेगा, क्योंकि भारत में गैर-टैरिफ बाधाएं कम हैं और व्यापारिक माहौल अपेक्षाकृत खुला है। हालाँकि, मई-जून तक कोई समझौता नहीं हो सका। 

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट

50% टैरिफ पर क्या बोले

अमेरिका ने बुधवार को भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लागू कर दिया। इसमें 7 अगस्त को लागू किए गए 25% जवाबी टैरिफ और रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% पेनाल्टी टैरिफ शामिल हैं। बेसेंट ने कहा कि यह तनाव केवल रूसी तेल की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापार समझौते में देरी भी इसका एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा, "हमने सोचा था कि मई या जून तक भारत के साथ एक व्यापारिक समझौता हो जाएगा। भारत उन पहले देशों में से एक था, जिसने 2 अप्रैल को 'लिबरेशन डे' के बाद टैरिफ वार्ता शुरू की थी, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ।"

बेसेंट ने कहा, 'जब व्यापारिक संबंधों में तनाव होता है, तो घाटे वाला देश फायदे में रहता है। भारत हमसे ज्यादा सामान बेचता है और उनके पास बहुत ऊंचे टैरिफ हैं, जबकि हमारा व्यापार घाटा बहुत बड़ा है।'
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रूस से तेल खरीद का मुद्दा

भारत द्वारा रूस से सस्ते कच्चे तेल की भारी खरीद को ट्रंप प्रशासन ने एक प्रमुख मुद्दा बनाया है। 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद मास्को ने सस्ते दामों पर तेल की पेशकश की। भारत ने इसका फायदा उठाया और 2024 तक भारत के तेल आयात का 35-40% रूस से होने लगा, जो 2021 में मात्र 3% था। बेसेंट ने भारत पर रूसी तेल से मुनाफाखोरी का आरोप लगाया और कहा कि यह व्यापारिक वार्ताओं को मुश्किल बना रहा है।

भारत ने इन आरोपों का जवाब देते हुए पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया है। भारत ने तर्क दिया कि वह एक प्रमुख ऊर्जा आयातक देश है और अपने गरीब नागरिकों को बढ़ती लागत से बचाने के लिए सबसे सस्ता तेल खरीदना जरूरी है।

भारत की स्थिति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार कहा है कि वह किसानों, पशुपालकों और छोटे उद्योगों के हितों से कोई समझौता नहीं करेंगे, भले ही हम पर दबाव बढ़े। भारत ने व्यापारिक वार्ताओं के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों को संरक्षित करने की अपनी शर्तों पर अडिग है। सरकार ने निर्यातकों से कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है और दवाइयों, इलेक्ट्रॉनिक्स और कुछ अन्य श्रेणियों पर शुल्क-मुक्त पहुंच बनी रहेगी। हालांकि, लोहा, इस्पात, एल्यूमीनियम और यात्री वाहनों जैसे क्षेत्रों को छूट मिली है, लेकिन श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर टैरिफ का असर पड़ सकता है।

बेसेंट ने यूरोपीय देशों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे रूसी तेल से बने परिष्कृत उत्पाद खरीद रहे हैं, लेकिन भारत पर टैरिफ की धमकी नहीं दे रहे। उन्होंने कहा, 'हमारे यूरोपीय सहयोगियों को और सक्रिय होना चाहिए। वे भारत पर टैरिफ की धमकी नहीं दे रहे, जबकि वे खुद रूसी तेल से बने उत्पाद खरीद रहे हैं।'
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रुपये को लेकर बेसेंट का बयान

जब बेसेंट से पूछा गया कि क्या वह भारत के रुपये में व्यापार करने या BRICS देशों के साथ रुपये में लेन-देन की संभावना से चिंतित हैं तो उन्होंने इसे खारिज करते हुए कहा, 'मुझे कई चीजों की चिंता है, लेकिन रुपये का वैश्विक रिजर्व मुद्रा बनना उनमें से एक नहीं है। वर्तमान में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर है।'
 
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव और टैरिफ़ की जंग ने दोनों देशों के संबंधों को मुश्किल बना दिया है, लेकिन स्कॉट बेसेंट का बयान इस बात का संकेत देता है कि दोनों पक्ष एक समाधान की ओर बढ़ना चाहते हैं। ट्रंप और मोदी के बीच व्यक्तिगत तालमेल और दोनों देशों के रणनीतिक, रक्षा और तकनीकी संबंध इस रिश्ते को मजबूती देते हैं। अब भारत और अमेरिका के बीच रिश्ता भविष्य में किस दिशा में जाएगा, यह देखना बाकी है।