पहले से ही आर्थिक मोर्चे पर परेशान सरकार के लिए कमज़ोर मानसून चिंताएँ बढ़ाने वाला है। मानसून की बारिश अब तक सामान्य से 43 फ़ीसदी कम हुई है। इसका साफ़ मतलब यह हुआ कि इसका असर खेती-किसानी पर होगा। यदि फ़सलें प्रभावित होंगी तो इसका सीधा असर कृषि की विकास दर और जीडीपी पर भी पड़ेगा। बता दें कि कृषि की स्थिति पहले से ही काफ़ी ख़राब है और इसकी वृद्धि दर सिर्फ़ 2.9 फ़ीसदी रही है। जीडीपी विकास दर भी मार्च तिमाही में गिरकर 5.8 फ़ीसदी पर आ गई है। इसका असर तो ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पर भी पड़ेगा और बेरोज़गारी बढ़ने की आशंका रहेगी। हाल ही में सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 45 साल में रिकॉर्ड बेरोज़गारी है। यानी स्थिति और बदतर हो सकती है।