जम्मू-कश्मीर में पिछले साल 5 अगस्त से नज़रबंद या गिरफ़्तार किए गए लोगों को उस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से कितनी राहत मिली है जिसके माध्यम से संविधान हर नागरिक को अनियंत्रित राज्य सत्ता से सुरक्षा देता है? इस सवाल को ढूँढती एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सख़्त पीएसए यानी पब्लिक सेफ़्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए गए अधिकतर लोगों को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बावजूद लंबे समय तक राहत नहीं मिली। अभी भी ऐसे अधिकतर मामले लंबित हैं। हालाँकि कुछ मामलों को तो हाई कोर्ट ने तय प्रक्रिया पालन नहीं करने के लिए सरकार की खिंचाई करते हुए हिरासत में लेने के आदेश को रद्द कर दिया है।