मार्च के तीसरे हफ़्ते में कमलनाथ की राज्य सरकार का जिस तरह से पतन हुआ, उसके केंद्र में न सिर्फ़ ग्वालियर नरेश ज्योतिरादित्य सिंधिया थे बल्कि जिन विधायकों ने पार्टी छोड़कर सरकार गिराई उनमें भी 55 फीसदी ग्वालियर-चम्बल संभाग के थे। इस दृष्टि से कमलनाथ, सिंधिया और शिवराज सिंह- तीनों के लिए इस क्षेत्र का बहुत बड़ा महत्व है। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना पहला उपचुनावी हल्ला इसी क्षेत्र पर बोला।
एमपी: क्या उपचुनावों में बुरे फँस गये हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया?
- मध्य प्रदेश
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- 3 Nov, 2020

राजनीतिक पर्यवेक्षक कमलनाथ के रोड 'शो' के कामयाब होने की 2 वजहें मानते हैं। पहली तो यह कि स्थानीय स्तर पर लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के 'राजनीतिक अवसरवाद' से नाखुश हैं। दूसरी, हालिया दिनों में बीजेपी की कई नीतियों को लेकर उनके मन में तेजी से उभरने वाला रोष है। भोपाल स्थित बीजेपी मुख्यालय में कमलनाथ की ग्वालियर यात्रा को मिली ऐसी कामयाबी पर चिंतन और मनन चल रहा है।
कमलनाथ यहाँ 2 दिन का कार्यक्रम बनाकर आए थे। उन्होंने एयरपोर्ट से लेकर रानी लक्ष्मीबाई समाधिस्थल तक 7 किमी लंबा रोड शो किया, कार्यकर्ताओं का एक बड़ा सम्मलेन किया और समापन के तौर पर संवाददाता सम्मेलन भी रखा। इसमें ताल ठोकने की मुद्रा में उन्होंने कहा कि यह सिंधिया वंश की कारस्तानी थी जिसके चलते ग्वालियर और चम्बल क्षेत्र अत्यंत पिछड़ा बना रहा लेकिन अब वह इस एरिया के विकास का संकल्प लेकर जा रहे हैं।