महाराष्ट्र में 'लाडकी बहिन' योजना में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। महिलाओं के लिए शुरू की गई इस योजना में 14000 से अधिक पुरुषों ने 21.44 करोड़ रुपये हड़प लिए! इस योजना में अब तक कई गड़बड़ियाँ सामने आ चुकी हैं और सरकार ही मान चुकी है कि जल्दबाज़ी में योजना लागू करते समय सत्यापन में चूक के कारण ऐसी गड़बड़ियाँ हुईं। अब वसूली के साथ सख्त कार्रवाई का वादा किया जा रहा है। विपक्ष इसको लेकर सरकार को घेर रहा है और उसपर आम लोगों के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहा है। इस घोटाले ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले ने इस मामले में सीबीआई जाँच की मांग की है।

महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना' विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए शुरू की गई थी। इस योजना में 21 से 65 वर्ष की आयु की कम आय वाली महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। अब सरकार सत्यापन प्रक्रिया में खामियों और प्रशासनिक लापरवाही के सवालों के घेरे में है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में महिला एवं बाल विकास विभाग यानी डब्ल्यूसीडी की एक ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 14298 पुरुषों ने गलत तरीक़े से इस योजना के तहत 21.44 करोड़ रुपये हासिल किए। इस खुलासे ने राज्य में हड़कंप मचा दिया है, और सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और धन की वसूली का वादा किया है।

चुनाव से पहले योजना की शुरुआत

'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना' की शुरुआत अगस्त 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले की गई थी। इस योजना का उद्देश्य निम्न आय वर्ग की महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और बेहतर स्वास्थ्य, पोषण व जीवन स्तर देना था। योजना के तहत 21 से 65 वर्ष की आयु की वो महिलाएं पात्र हैं जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। इसमें विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता और निराश्रित महिलाएं शामिल हैं। प्रत्येक पात्र महिला को प्रतिमाह 1500 रुपये की सहायता दी जाती है, जिसके लिए राज्य सरकार प्रतिमाह लगभग 3700 करोड़ रुपये खर्च करती है।

इस योजना को मध्य प्रदेश की 'लाडली बहना योजना' से प्रेरित माना जाता है और इसे महायुति गठबंधन की 2024 विधानसभा चुनाव में शानदार जीत का एक प्रमुख कारण माना गया। हालाँकि, योजना की शुरुआत से ही इसके वित्तीय बोझ और कार्यान्वयन में चुनौतियों को लेकर सवाल उठ रहे थे।

26.34 लाख अपात्र लाभार्थी

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा की गई नियमित ऑडिट में पाया गया कि 14298 पुरुषों ने ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली में हेरफेर कर स्वयं को महिला लाभार्थी के रूप में दर्ज कराया और 10 महीनों तक योजना का लाभ उठाया। इस दौरान इन पुरुषों को 21.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 

ऑडिट में यह भी सामने आया कि कुल 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों ने इस योजना का लाभ उठाया, जिसके कारण राज्य को 1,640 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

मंत्री ने क्या कहा?

महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया, 'विभाग ने सभी सरकारी विभागों से लाभार्थियों की पात्रता सत्यापित करने के लिए जानकारी मांगी थी। सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग ने बताया कि लगभग 26.34 लाख अपात्र लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा रहे थे। इनमें कुछ लोग कई योजनाओं का लाभ ले रहे थे, कुछ परिवारों में दो से अधिक लाभार्थी थे, और कुछ मामलों में पुरुषों ने आवेदन किया था।'

वेरिफ़िकेशन प्रक्रिया में खामियाँ

रिपोर्ट के अनुसार, पुरुष लाभार्थियों ने गलत या फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग करके योजना में पंजीकरण कराया। ये गलतियां शुरुआती दौर में सत्यापन की कमी और ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया की खामियों के कारण संभव हो सकीं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार विभाग के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि ऑनलाइन प्रणाली ने फर्जी लाभार्थियों को पंजीकरण करने में मदद की और अब फिजिकल स्क्रूटनी को अनिवार्य करने की योजना है। इसके अलावा, आयकर विभाग की मदद से लाभार्थियों की आय पात्रता की जांच की जाएगी, क्योंकि योजना केवल उन महिलाओं के लिए है जिनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है।

रुपये वसूलेंगे: अजित पवार

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस घोटाले पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, 'लाडकी बहिन योजना गरीब महिलाओं के लिए शुरू की गई थी। पुरुषों का इसमें लाभार्थी बनना बिल्कुल अस्वीकार्य है। हम इन पुरुषों से दी गई राशि की वसूली करेंगे। यदि वे सहयोग नहीं करते, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।' पवार ने यह भी बताया कि कुछ सरकारी नौकरी वाली महिलाओं के नाम भी लाभार्थी सूची में थे, जिन्हें हटा दिया गया है।

विपक्ष का हमला

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह योजना शुरू से ही विवादों में रही है और अपात्र लाभार्थियों की इतनी बड़ी संख्या प्रशासनिक विफलता को दिखाती है। सुले ने यह भी आरोप लगाया कि यह घोटाला महायुति सरकार की लापरवाही और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।

विपक्ष ने यह भी दावा किया कि सरकार इस योजना को बंद करने या लाभार्थियों की संख्या कम करने की योजना बना रही है। इस आरोप को अजित पवार ने जनवरी 2025 में खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अपात्र लाभार्थियों से धन की वसूली नहीं की जाएगी, लेकिन हाल के खुलासों के बाद सरकार ने वसूली और कार्रवाई का रुख अपनाया है।

योजना से बड़ा वित्तीय बोझ 

लाडकी बहिन योजना की वार्षिक लागत 46,000 करोड़ रुपये है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ डाल रही है। महाराष्ट्र का कर्ज 9.36 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है और वार्षिक ब्याज भुगतान 64,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। इस वित्तीय दबाव के बीच अपात्र लाभार्थियों के कारण 1,640 करोड़ रुपये का नुकसान और 21.44 करोड़ रुपये का पुरुषों को भुगतान राज्य की आर्थिक स्थिति को और जटिल बनाता है।
जानकारों का कहना है कि योजना की शुरुआत जल्दबाजी में की गई, क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक थे। केवल 45 दिनों में 2.5 करोड़ महिलाओं का पंजीकरण, आधार और बैंक खाता लिंकिंग जैसी प्रक्रियाओं को पूरा करना चुनौतीपूर्ण था। इस कारण सत्यापन में कमियाँ रह गईं, जिसका फायदा अपात्र व्यक्तियों ने उठाया।

जिस लाडकी बहिन योजना को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शुरू किया गया था, वह अब प्रशासनिक लापरवाही और धन के दुरुपयोग के कारण विवादों में घिर गई है। 14,298 पुरुषों द्वारा 21.44 करोड़ रुपये का लाभ उठाना और कुल 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों के कारण 1,640 करोड़ रुपये का नुकसान इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।