दोनों देशों की सरकारें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर संयत रुख अपनाना चाह रही हैं। दोनों देशों की सरकारें अपने-अपने राजदूतों से अब तक सारा विवरण ले चुकी होंगी। शायद दोनों सरकारें बहुत ही सम्भलकर अपनी प्रतिक्रियाएँ देना चाह रही होंगी, क्योंकि पिछले कई दशकों से भारत-चीन सीमा पर ऐसी हिंसक घटनाएँ नहीं घटीं, जबकि दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे की सीमाओं में भूल-चूक से आते-जाते भी रहे।
इतने घंटे बीत जाने पर भी भारत सरकार की कोई दो-टूक प्रतिक्रिया इस घटना पर अभी तक क्यों नहीं आई? हमारे रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री अभी आपस में विचार कर रहे हैं कि इस घटना के बारे में सार्वजनिक रूप से क्या कहा जाए?
इससे ज़ाहिर होता है कि दोनों देशों की सरकारें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर संयत रुख अपनाना चाह रही हैं। दोनों देशों की सरकारें अपने-अपने राजदूतों से अब तक सारा विवरण ले चुकी होंगी। शायद दोनों सरकारें बहुत ही सम्भलकर अपनी प्रतिक्रियाएँ देना चाह रही होंगी, क्योंकि पिछले कई दशकों से भारत-चीन सीमा पर ऐसी हिंसक घटनाएँ नहीं घटीं, जबकि दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे की सीमाओं में भूल-चूक से आते-जाते भी रहे।
दोनों तरफ़ के फ़ौजियों और राजनयिकों के बीच बातचीत से जो मामला सुलझता हुआ लग रहा था, वह अब थोड़ा मुश्किल में ज़रूर पड़ जाएगा लेकिन दोनों देश इस दुर्घटना को किसी बड़ी मुठभेड़ का रूप नहीं देना चाहेंगे।