Shashi Tharoor Speaks like BJP:कांग्रेस सांसद शशि थरूर आजकल बीजेपी को पसंद आने वाली भाषा खूब बोल रहे हैं। अब कोच्चि में उन्होंने ताज़ा बयान दिया है, जो पूरी तरह बीजेपी और आरएसएस को पंसद आएगा। थरूर ने कहा- दलगत राजनीति से ऊपर देश पहले है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर ने शनिवार को कोच्चि में एक कार्यक्रम में कहा कि देश हमेशा पार्टी हितों से ऊपर होना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध कथन, “भारत मर गया तो कौन बचेगा?” का हवाला देते हुए थरूर ने राष्ट्रीय एकता को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर बताया। यह बयान उन्होंने एक हाई स्कूल छात्र के उस सवाल के जवाब में दिया, जिसमें उनसे उनकी पार्टी के भीतर हाल के समय में उनकी अखिल-पक्षीय कूटनीतिक पहल और राष्ट्रीय हितों को समर्थन देने के रुख के कारण होने वाली आलोचना के बारे में पूछा गया था।
राष्ट्रीय हित सबसे पहले
थरूर ने कहा, “जब मैं भारत की बात करता हूं, तो मैं सभी भारतीयों के लिए बोलता हूं, न कि केवल उन लोगों के लिए जो मेरी पार्टी को पसंद करते हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि जब राष्ट्र संकट में हो, तो मतभेदों को एक तरफ रख देना चाहिए।“ थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टियां केवल राष्ट्र को बेहतर बनाने का एक माध्यम हैं। “मेरे लिए राष्ट्र पहले है। पार्टियां राष्ट्र को बेहतर बनाने का एक जरिया हैं।”
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
थरूर की यह टिप्पणी पहलगाम आतंकी हमले और इसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई, ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनकी कूटनीतिक पहल के संदर्भ में आई है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत सरकार और सशस्त्र बलों के एकजुट रुख को प्रस्तुत करने की कोशिश की थी। हालांकि, इस कदम को उनकी अपनी पार्टी के कुछ नेताओं ने पसंद नहीं किया। पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अप्रत्यक्ष रूप से थरूर पर निशाना साधते हुए कहा था कि कांग्रेस हमेशा “देश को पहले” रखती है, लेकिन “कुछ लोगों के लिए यह मोदी पहले और देश बाद में है।” पूर्व सांसद उदितराज ने तो उन्हें बीजेपी में जाकर बीजेपी की बात रखने की सलाह दी थी।
पार्टी के साथ मतभेद
कोच्चि में एक निजी कार्यक्रम, ‘शांति, सौहार्द और राष्ट्रीय विकास’ में थरूर ने कहा कि राजनीति में प्रतिस्पर्धा स्वाभाविक है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सभी दलों को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा- “जब हम जैसे लोग कहते हैं कि हम अपनी पार्टियों का सम्मान करते हैं, हमारे कुछ मूल्य और विश्वास हमें हमारी पार्टियों में रखते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में हमें अन्य पार्टियों के साथ सहयोग करना चाहिए, तो कभी-कभी पार्टियों को लगता है कि यह उनके प्रति वफादारी की कमी है। यह एक बड़ी समस्या बन जाती है।”
नेहरू का कोट और राष्ट्रीय एकता का आह्वान
थरूर ने नेहरू को कोट करते हुए “भारत मर गया तो कौन बचेगा?” का हवाला देते हुए सभी दलों और नागरिकों से आग्रह किया कि जब राष्ट्र संकट में हो, तो मतभेदों को भुला देना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं है। भारत को पहले रखा जाना चाहिए, तभी हम सब जीवित रह सकते हैं।” थरूर ने यह भी कहा कि वह अपने रुख पर अडिग रहेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि यह देश के लिए सही है।
थरूर ने कहा, “मैंने हमेशा कहा है कि मेरा दर्शन ‘राष्ट्र पहले’ है। चाहे आप किसी भी पार्टी से हों, उस पार्टी का उद्देश्य अपने तरीके से एक बेहतर भारत बनाना है।” उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न दलों के बीच वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, जैसे पूंजीवाद बनाम समाजवाद या मुक्त बाजार, लेकिन सभी को एक बेहतर और सुरक्षित भारत के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
थरूर ने अपने बयान का एक वीडियो एक्स पर साझा किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “कोच्चि में आज एक हाई स्कूल छात्र ने मुझसे एक जरूरी सवाल पूछा। मैं आमतौर पर सार्वजनिक रूप से ऐसी राजनीतिक चर्चाओं से बचता हूं, लेकिन मुझे लगा कि एक छात्र जवाब का हकदार है।” इस पोस्ट को व्यापक समर्थन और कुछ आलोचना दोनों मिलीं। कुछ यूजर्स ने उनकी ‘राष्ट्र पहले’ की सोच की सराहना की, जबकि अन्य ने पूछा कि क्या उनकी पार्टी इस नजरिए का पालन करेगी।
कांग्रेस के भीतर असहजता
थरूर के बयानों और उनकी अगुवाई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक पहल ने कांग्रेस के भीतर असहजता पैदा कर दी है। कुछ पार्टी नेताओं ने उनके बयानों को सरकार के पक्ष में माना है, जिसके कारण उनकी वफादारी पर सवाल उठाए गए हैं। हालांकि, थरूर ने स्पष्ट किया कि वह भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गए थे, न कि किसी पार्टी के प्रवक्ता के रूप में।