राजस्थान में कांग्रेस गठबंधन ने 25 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की है। इसमें पांच जाट हैं, तीन दलित हैं, तीन ही आदिवासी हैं। इनकी जीत में मुस्लिम और गुर्जर वोट जोड़ दीजिए। कुल मिलाकर राजस्थान में जातियों की ऐसी छतरी कांग्रेस के पक्ष में बनी कि सियासी धूप और मोदी की लू में पार्टी ने खुद को बचा लिया। बचा भी लिया और साथ ही बीजेपी को भी झुलसा दिया। जिस कांग्रेस को पिछले दो लोकसभा चुनावों में खाता तक खोलने में दिक्कत आ रही थी उसी कांग्रेस ने बीजेपी को इस बार बुरी तरह से पटखनी दी। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि अगर कांग्रेस ने और ज्यादा जोर लगाया होता, अगर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी दोस्ती गहरी रही होती तो कांग्रेस ग्यारह की जगह पन्द्रह तक सीटें जीत सकती थी। लेकिन ऐसा हो न सका। पर जो हुआ वह नई तरह की सोशल इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण है। जीत के यूँ तो बहुत से हीरो हैं लेकिन सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा को मैन ऑफ़ द मैच और प्लेयर ऑफ़ द मैच से नवाजा जा सकता है।
राजस्थान में बीजेपी कहाँ चूकी, कांग्रेस की क्या रही रणनीति?
- राजस्थान
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- 5 Jun, 2024

गोविंद सिंह डोटासरा
राजस्थान में बीजेपी को कांग्रेस से इतना बड़ा झटका कैसे लगा? जानिए, आख़िर बीजेपी कहाँ चूकी और कांग्रेस की क्या रणनीति रही।
कुछ लोगों का कहना है कि कांग्रेस की जीत में बीजेपी का सहयोग भी भुलाया नहीं जा सकता। कुछ जगह जमकर भितरघात हुआ, कुछ जगह वसुंधरा राजे की नाराज़गी सामने आई। कुछ जगह नेताओं की नाक जीत में आड़े आ गयी, कुछ जगह उम्मीदवारों का गलत चुनाव हार का कारण बना। हालाँकि इस तर्क के हिसाब से चला जाए तो कांग्रेस ने भी कम से कम चार सीटें बीजेपी को तश्तरी में सजा कर दे दी। खैर, ऐसा तो हर चुनाव में होता ही रहता है लेकिन इस बार जनता ने जमकर बीजेपी के खिलाफ गुस्से का इजहार किया। इसमें से कितना मोदी के खिलाफ था, कितना सांसदों के निकम्मेपन के खिलाफ रहा, इसका पता तो गहन विवेचना के बाद ही चलेगा लेकिन इतना तय है कि राजस्थान में मोदी का चेहरा नहीं चला। मोदी ने राजस्थान में 17 जगह रैलियां की थीं और बीजेपी इनमें से 11 जगह हार गयी।