राजस्थान में कांग्रेस गठबंधन ने 25 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की है। इसमें पांच जाट हैं, तीन दलित हैं, तीन ही आदिवासी हैं। इनकी जीत में मुस्लिम और गुर्जर वोट जोड़ दीजिए। कुल मिलाकर राजस्थान में जातियों की ऐसी छतरी कांग्रेस के पक्ष में बनी कि सियासी धूप और मोदी की लू में पार्टी ने खुद को बचा लिया। बचा भी लिया और साथ ही बीजेपी को भी झुलसा दिया। जिस कांग्रेस को पिछले दो लोकसभा चुनावों में खाता तक खोलने में दिक्कत आ रही थी उसी कांग्रेस ने बीजेपी को इस बार बुरी तरह से पटखनी दी। अब तो यहां तक कहा जाने लगा है कि अगर कांग्रेस ने और ज्यादा जोर लगाया होता, अगर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी दोस्ती गहरी रही होती तो कांग्रेस ग्यारह की जगह पन्द्रह तक सीटें जीत सकती थी। लेकिन ऐसा हो न सका। पर जो हुआ वह नई तरह की सोशल इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण है। जीत के यूँ तो बहुत से हीरो हैं लेकिन सचिन पायलट और गोविंद सिंह डोटासरा को मैन ऑफ़ द मैच और प्लेयर ऑफ़ द मैच से नवाजा जा सकता है।