केंद्रीय मंत्री का छात्रों को नया ज्ञान!
अंतरिक्ष में यात्रा करने वाला पहला कौन था? यह सवाल केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने छात्रों से पूछा। सैकड़ों छात्रों ने एकसुर में जवाब दिया, लेकिन मंत्री ने छात्रों की बात काटते हुए बोला- 'मुझे लगता है कि हनुमान जी थे।' पूरी दुनिया यूरी गगारिन को पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में जानती है। तो क्या अनुराग ठाकुर छात्रों के दिमाग़ में किस्से-कहानियों और मिथकों का ज्ञान भरना चाहते हैं? अनुराग ठाकुर के इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोग ऐसे ही सवाल पूछ रहे हैं और मौजूदा सरकार में शिक्षा नीति पर सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के एक ताजा बयान ने हंगामा मचा दिया है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने दावा किया कि पहले अंतरिक्ष यात्री हिंदू पौराणिक चरित्र हनुमान जी थे। कार्यक्रम के दौरान अनुराग ठाकुर ने कहा, "...मुझे तो लगता है कि हनुमान जी थे। क्योंकि हम अभी भी अपने आप को अभी तक जीते हैं। हम अपनी हज़ारों वर्ष पुरानी परंपरा, ज्ञान, संस्कृति... जब तक हमें उसका ज्ञान नहीं होगा तो जो अंग्रेज़ों ने सिखाया वहीं तक सीमित होकर रह जाएगा।'
अनुराग ठाकुर यहीं नहीं रुकते हैं, वह आगे प्रिंसिपल और शिक्षकों से यह अनुरोध भी कर डालते हैं कि 'टेक्स्ट बुक से बाहर निकलिए। जो हमारे वेद हैं, जो हमारी परंपराएँ हैं, हमारा ज्ञान है... उस ओर देखने पर बहुत कुछ मिलेगा।' इसके बाद वह छात्रों की प्रदर्शनी की तारीफ़ भी करते हैं।
केंद्रीय मंत्री के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भारी विवाद खड़ा कर दिया है। आलोचकों का कहना है कि क्या मंत्री छात्रों को ऐसी अवैज्ञानिक सीख देना चाहते हैं? क्या यह शिक्षा प्रणाली में मिथकों को वैज्ञानिक तथ्यों के रूप में थोपने की कोशिश है? ठाकुर ने भारतीय संस्कृति की महिमा गायी और पश्चिमी विज्ञान को कमतर बताने की कोशिश की।
अभिसार शर्मा ने लिखा, 'जो ज्ञान यहाँ अनुराग ठाकुर बांट रहे हैं... अपने बच्चों को दिया है जिन्हें वो विदेश में पढ़ा रहे हैं? यानी देश के युवा को गोली मारो की सीख? अपने बच्चों को कभी उस भीड़ में शामिल न करना? अनुराग कह रहे हैं हनुमान पहले अंतरिक्ष यात्री थे? और ये स्कूल में? इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं वर्ना ये वो अपने घर पर लागू करते!'
एक यूज़र रणविजय सिंह ने लिखा, 'हनुमान जी पहले अंतरिक्ष यात्री थे- नरेंद्र मोदी के मंत्री। ...इनके बच्चे तो विदेश में पढ़ेंगे, और कहेंगे- पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन थे।' स्वाति मिश्रा नाम की यूज़र ने भी अनुराग ठाकुर को कटघरे में खड़ा किया है।
आलोचकों ने सवाल उठाया है कि क्या सरकार की यही शिक्षा नीति है और क्या इसके तहत भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के नाम पर वैज्ञानिक शिक्षा को कमजोर करने की साजिश है? कहा जा रहा है कि ठाकुर का बयान स्कूल पाठ्यक्रम में पौराणिक कथाओं को वैज्ञानिक तथ्यों के रूप में शामिल करने की दिशा में एक कदम हो सकता है। कुछ राज्यों में पहले ही रामायण और महाभारत की कहानियों को इतिहास के रूप में पढ़ाया जा रहा है।
पहले अंतरिक्ष यात्री पर क्या है तथ्य
दुनिया भर में स्थापित तथ्य है कि पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन थे। उन्होंने 12 अप्रैल, 1961 को सोवियत संघ के वोस्तोक-1 अंतरिक्ष यान में पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाया और अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान बने। उनकी उड़ान 108 मिनट तक चली। नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर पहले क़दम रखने वाले अंतरिक्ष यात्री थे। उन्होंने 1969 में अपोलो 11 मिशन के तहत चंद्रमा पर पहला कदम रखा, जो मानव इतिहास की प्रमाणित उपलब्धि है। भारतीय वायु सेना के पूर्व पायलट राकेश शर्मा अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले पहले भारतीय हैं। 1984 में उन्होंने यह यात्रा की थी। वहीं, हनुमान जी की कहानी पौराणिक ग्रंथ रामायण पर आधारित है, जो धार्मिक विश्वास का हिस्सा है, न कि वैज्ञानिक प्रमाण।
जानकारों का कहना है कि ऐसे बयानों से भारत की वैश्विक छवि प्रभावित हो सकती है, खासकर जब हम चंद्रयान-3 जैसी सफलताओं का जश्न मना रहे हैं।