साफ़ तौर पर यह सवाल अब हिंदुओं से पूछा जाना चाहिए कि धर्म के नाम पर हो रहा यह अधर्म कब तक बर्दाश्त करोगे। वेदांत तो संपूर्ण संसार को ब्रह्म की अभिव्यक्ति मानता है तो मुस्लिम इससे बाहर कैसे हुए?
क्या उत्तर प्रदेश में एक और प्रस्तावित क़ानून पर बड़ा विवाद होने की संभावना है? आख़िर ‘खाने में थूकने को रोकने’ के लिए क़ानून लाने की तैयारी क्यों?
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद के डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद ने कुछ दिनों पहले पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ विवादित टिप्पणी की थी।
हिमंता बिस्वा सरमा अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ लगातार ऐसी बयानबाज़ी कर रहे हैं जिसे घृणा फैलाने वाला कहा जा रहा है। आख़िर वह ऐसी बयानबाज़ी क्यों कर रहे हैं और क्या संविधान इसकी इजाजत देता है?
सावरकार ने आज़ादी से वर्षों पहले द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत रखा था। उनका कहना था कि भारत में हिन्दू और मुस्लिम दो राष्ट्र हैं। उन्होंने हिंदू राष्ट्र का विचार रखा था। तो सवाल है कि इस हिंदुत्व ने आज़ादी के बाद से देश को किस तरह प्रभावित किया?
मुसलमानों या दूसरे धर्मों के लोगों की हत्याओं के बाद इन इंसानी हत्यारों की आँखों में आँसू नहीं उमड़ते, ख़ुशी की बिजलियाँ कौंधने लगती हैं। ऐसा क्यों?
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले होटलों, ढाबों, रेहड़ी-पटरी वालों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश क्यों दिया? इसका सीधा-सीधा मतलब क्या है?
क्या धर्म के आधार पर किसी को आवासीय क्षेत्र में रहने या नहीं रहने देने का विरोध किया जा सकता है? जानिए, आख़िर गुजरात के वडोदरा में मुख्यमंत्री आवास योजना तहत मिले फ्लैट में मुस्लिम महिला को रहने देने का विरोध क्यों हो रहा है।
दुनिया में तीसरे नंबर की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी पर प्रधानमंत्री जिस तरह से प्रहार कर रहे हैं क्या उसका विपरीत असर उन मतदाताओं पर भी नहीं पड़ रहा होगा जिनकी गिनती मोदी-समर्थकों में होती है?
प्रधानमंत्री मोदी के कथित नफ़रती भाषण को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कड़ी आपत्ति जताई है। जानिए, आख़िर यह किस तरह की कार्रवाई की मांग कर रहा है।
इस्लामफोबिया को लेकर संयुक्त राष्ट्र की पहल का भारत ने बार-बार विरोध किया। जाने-माने चिंतक डॉ राम पुनियानी ने अपने इस लेख में इस्लामफोबिया को लेकर तमाम तरह की बातों से पर्दा उठाया है। इस्लामिक आतंकवाद शब्द कैसे गढ़ा गया, इस बारे में भी लेख में रोशनी डाली गई है। यह इस दौर का महत्वपूर्ण लेख है। पढ़ें और शेयर भी करेंः
दो नाबालिग लड़कियों के अपहरण के बाद उत्तराखंड के धारचूला में मुस्लिम दुकानदारों को दुकानें बंद करनी पड़ीं। हालांकि पुलिस का कहना है कि उन्हें सुरक्षा दी जाएगी अगर वो दुकानें खोलते हैं। धारचूला में काफी तनाव है। उत्तराखंड के अन्य शहरों में अपराध की घटनाओं को लेकर मुस्लिमों से दुकानें खाली करने को कहा गया था। लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होते ही, साम्प्रदायिक घटनाओं की बाढ़ आ गई है।
अगर स्कूल विद्यार्थियों को सारे धर्मों से परिचित करवाने के क्रम में मस्जिद ले जाना चाहें तो उसपर भी स्कूल के ख़िलाफ़ हिंसा हो सकती है। ऐसे हालात में क्या स्कूल या कॉलेज शिक्षा का अपना धर्म निभा सकते हैं?
उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम छात्रों के साथ आपत्तिजनक व्यवहार और उन पर की गई टिप्पणी के बाद ऐसा ही मामला कर्नाटक में आया है। जानिए, क्या है मामला।
हम हिंदू समाज को इस पर विचार करने की ज़रूरत है कि क्या कोई कार्यक्रम अब बिना दूसरे समुदाय को अपमानित किए नहीं हो सकता?
इस ‘हिंदू समय’ में कितना हिंदू विचार है और कितना हिंदू विरोध? क्या हिंदुत्व की राजनीति ने हिंदू धर्म के सामने वाक़ई एक गंभीर चुनौती नहीं खड़ी कर दी है? पढ़ें कांग्रेस से जुड़े पंकज श्रीवास्तव की टिप्पणी।
यूपी में पुलिस एनकाउंटर का सिलसिला जारी है। आज मंगलवार सुबह कौशांबी जिले में एक वांछित आरोपी मोहम्मद गुफरान का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। यूपी में तमाम पुलिस एनकाउंटर पर विवाद है। विपक्ष का आरोप है कि यूपी पुलिस सिर्फ खास समुदाय के कथित अपराधियों का एनकाउंटर कर रही है।
उत्तर प्रदेश में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक मुस्लिम युवक को पेड़ से बांधकर पीटा, उसे ही जेल भेज दिया और जब मामला बढ़ गया तो जानिए अब क्या कार्रवाई हुई।
लेखक बीएस बिष्ट ने एक मुस्लिम परिवार में रहकर पढ़ाई की। वहां उनके साथ क्या हुआ, जानिए।
उत्तराखंड के पुरोला में प्रशासन की सख्ती और धारा 144 लागू होने की वजह से दक्षिणपंथी संगठन महापंचायत नहीं कर सके। लेकिन कई जगह प्रदर्शन हुए। यह महापंचायत समुदाय विशेष के लोगों को शहर से निकालने के लिए बुलाई गई थी। हिन्दू संगठनों ने कहा है कि अब 25 जून को महापंचायत होगी।
उत्तराखंड के पुरोला में होने वाली महापंचायत पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। वहां धारा 144 लगा दी गई है। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल इसके आयोजन पर अड़े हुए हैं। यह महापंचायत पुरोला से मुस्लिम दुकानदारों और आबादी को निकालने के लिए आयोजित की जाने वाली है।
उत्तराखंड के पुरोला शहर में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ दक्षिणपंथी आख़िर क्यों नफ़रत उगल रहे हैं? जानिए, मुस्लिमों की दुकानों के बाद अब मुस्लिम किरायेदारों के ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाले कौन।
उत्तराखंड में धर्म के आधार पर निशाना बनाए जाने का मामला सामने आया है। यहाँ तक कि 15 जून से पहले दुकानें खाली करने की चेतावनी दी गई है। जानें ऐसी नफ़रत क्यों और क्या गुजर रही है मुस्लिम दुकानदारों पर।
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुए रेल हादसे को आख़िर सांप्रदायिक रंग देने वाले लोग कौन हैं? आख़िर ओडिशा पुलिस को चेतावनी क्यों जारी करनी पड़ी?
उत्तराखंड में अभी हिन्दू संगठनों के दबाव पर बीजेपी नेता ने अपनी बेटी की शादी मुस्लिम युवक से रोक दी। इसकी काफी चर्चा है। लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने-अपने ढंग से इस मुद्दे पर चर्चा की है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव की बात जानिएः
क्या शादियाँ भी अब युवक-युवती की पसंद से नहीं होंगी, बल्कि हिंदुत्व संगठन तय करेंगे? आख़िर उत्तराखंड में बीजेपी नेता की बेटी की मुसलिम युवक से शादी को क्यों रद्द करना पड़ा?